Jabalpur News: 45 साल में भी पूरी नहीं बन पाई एमआर-फोर दफन हो गया शहर को विस्तार देने वाला अहम प्रोजेक्ट

  • धनवंतरी नगर से खजरी खिरिया बायपास तक होना था निर्माण
  • अफसर बदलते गए, नहीं टूटी जिम्मेदारों की नींद, चार दशक में महज 4 किमी बन पाई सड़क
  • साढ़े चार दशक के सफर में 13.4 किमी लम्बी इस एमआरफोर का मात्र 4.1 किमी का हिस्सा ही बन पाया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-20 13:32 GMT

Jabalpur News: लोग छोटा सा घर भी बनाते हैं तो उसका नक्शा तैयार कराते हैं। उसी नक्शे के अनुरूप निर्माण कार्य को अंजाम दिया जाता है। कुछ ऐसे ही उद्देश्य से शहरों का भी मास्टर प्लान बनाया जाता है। बाद में इसी मास्टर प्लान के आधार पर शहर के विस्तार और व्यवस्थित विकास को गति दी जाती है, लेकिन जबलपुर में हालात अजब हैं...।

यहाँ मास्टर प्लान के पालन में किस दर्जे की लापरवाही बरती जाती है, इसकी बानगी के लिए एमआर-4 का एक उदाहरण ही काफी है। दरअसल 45 साल बीतने के बाद भी उक्त मेजर रोड पूरी नहीं बन पाई। शहर के विकास की बातें और तरह-तरह के दावे करने वाले तथाकथित कर्ताधर्ता सोते रहे और इसका पूरा प्लान ही फाइलों में दफन हो गया।

साढ़े चार दशक के सफर में 13.4 किमी लम्बी इस एमआरफोर का मात्र 4.1 किमी का हिस्सा ही बन पाया है। इस मेजर सड़क के नहीं बन पाने की सजा दीनदयाल चौक से लेकर चुंगीनाका-माढ़ोताल और खजरी खिरिया बायपास तक पूरा क्षेत्र भोग रहा है।

ये था पूरा प्लान

जानकारों के अनुसार वर्ष 1979 के मास्टर प्लान में विकास के लिए विजय नगर और इधर माढ़ोताल से खजरी खिरिया बायपास तक के क्षेत्र को शामिल किया गया है। इसी विकास योजना के तहत शहर के विस्तार को गति देने के लिए एमआर-4 (मेजर रोड) के निर्माण का खाका खींचा गया।

इस सड़क को धनवंतरी नगर के आगे अंधमूक बायपास से बनाया जाना था, जो 41 नंबर स्कीम से अहिंसा चौक, विजय नगर, दीनदयाल चौक, माढ़ोताल, कसौंधन नगर होते हुए सीधे खजरी खिरिया गाँव के समीप बायपास पर मुख्य रोड ( फोरलेन सिहोरा रोड) से कनेक्ट की जानी थी। 13.4 किमी लम्बी व 50 मीटर चौड़ी इस सड़क में दोनों ओर सर्विस रोड का निर्माण भी होना था। इसे लेटलतीफी और लापरवाही की हद ही कहें, कि यह सड़क आज तक माढ़ोताल के आगे नहीं बढ़ पाई।

अब तो कसौंधन नगर के आगे खजरी खिरिया की ओर कॉलोनियाँ भी आबाद हो चुकी हैं और सड़क के आगे बनने का रास्ता मुश्किल हो गया है। हालातों को भाँपते हुए शातिर दिमाग अफसरों ने बाद में इसके प्लान को ही बदल डाला।

ऐसे बदला प्लान, नाम दे दिया एआरपी-4

जानकार सूत्रों के अनुसार कसौंधन नगर के आगे से खजरी खिरिया की ओर कुछ कॉलोनियों के आबाद हो जाने के बाद अफसरों ने एमआर-4 को कसौंधन नगर ग्रीन सिटी के आगे से महाराजपुर की ओर जोड़ने का नया प्लान बना लिया। नए प्लान में सड़क की लम्बाई 12.17 किलोमीटर दिखाई गई है और इसे एआरपी-4 प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है।

इस प्लान के तहत उक्त सड़क को अब माढ़ोताल के आगे से अमखेरा, कुदवारी, गुर्दा, खैरी, हथना होते हुए महाराजपुर बायपास पर जोड़ा जाना है, लेकिन इस पर अब तक कोई काम हुआ ही नहीं। इसे शहर का दुर्भाग्य ही कहें कि 45 साल के सफर में मूल प्लान में शामिल यह सड़क महज 4.1 किलोमीटर ही बन पाई है।

इसमें धनवंतरी नगर, सगड़ा रेलवे लाइन के समीप से दीनदयाल चौक तक का हिस्सा शामिल है। यानी दीनदयाल चौक, माढ़ोताल की ओर का करीब 8 किलोमीटर हिस्सा आज भी अधूरा है। जानकारी के अनुसार 9 लिंक रोड बनने थी जो आज तक नहीं बन पाई, इनके लिए छोड़ी गई जगह पर अब अतिक्रमण हो गए हैं।

किसी को नहीं है फिक्र... बनेगी तो मिलेगी ये राहत

जानकारों के अनुसार वर्ष 1979-1991, 1991-2005 व 2005 से 2021 तक के लिए अभी तक शहर में तीन मास्टर प्लान लागू हो चुके हैं, हर मास्टर प्लान में एमआर-4 को शामिल किया जाता रहा है, लेकिन अभी तक एमआर-4 की तकदीर नहीं बदल पाई है। शहर के जनप्रतिनिधियों और अफसरशाहों ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। सूत्रों का कहना है कि नए मास्टर प्लान में भी एमआर-4 को शामिल किया जा रहा है।

यदि जिम्मेदार अभी भी चेत जाएँ तो यह अहम सड़क अब भी शहर को नसीब हो सकती है। नए प्लान के अनुरूप दीनदयाल चौक के आगे से ग्रीन सिटी होते हुए यदि यह सड़क महाराजपुर से जुड़ जाएगी तो सिहोरा, कटनी की ओर से आने-जाने वाली बसें व अन्य वाहन सीधे दीनदयाल चौक आईएसबीटी तक आ-जा सकेंगे। कटंगी रोड के वाहन भी दमोह रोड पर जुड़ने वाली इसकी लिंक रोड से दीनदयाल चौक आ व जा सकेंगे। इससे दीनदयाल चौक व माढ़ोताल चुंगीनाका पर लगने वाले भारी जाम से निजात मिल जाएगी और क्षेत्र में नई बसाहट को बल भी मिलेगा।

एक नजर में

सन 1979 के मास्टर प्लान के अनुसार 13.4 किमी लम्बी और 50 मीटर चौड़ी बननी थी।

जेडीए द्वारा अब एमआर-4 का नाम बदलकर एआरपी-4 कर दिया गया है।

एआरपी-4 की लम्बाई भी घटाकर 12.17 किमी कर दी गई है।

45 साल में एमआरफोर का मात्र 4.1 किमी का हिस्सा ही बन पाया है।

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