टेलीकॉम फैक्ट्री: पेड़ों को काटने में लगेंगे चंद घंटे, इन्हें तैयार होने में लगा दशकों का वक्त
- हरा-भरा है पूरा फैक्ट्री परिसर लोगों ने कहा - दूरसंचार विभाग अपना निर्णय वापस ले
- भूमि की अदला-बदली के लिए हो पहल
- नगर निगम, राज्य सरकार भूमि की अदला-बदली को लेकर जल्द निर्णय लें, ताकि शहर के मध्य हिस्से का ग्रीन कवर बच सके।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। रानीताल टेलीकॉम फैक्ट्री की जिस 70 एकड़ भूमि को बेचने की प्रक्रिया चल रही है, उसके पेड़ बीते पाँच से छह दशकों में तैयार हुए हैं। फैक्ट्री के प्रशासनिक भवन और मशीनी एरिया से अलग जो खाली जगह थी उसमें ये पेड़ हजारों की संख्या में धीरे-धीरे दशकों की प्रोसेस में बढ़े हैं।
लोगों का कहना है कि भूमि को किसी को दिये जाने के बाद इनके कटने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पर्यावरण को मिटाने में चंद मिनट लगते हैं और बनाने में दशकों लग जाते हैं। शहर के बीचों-बीच यदि ऐसे हजारों पेड़ हैं तो कम से कम ऐसी भूमि को तो किसी भी दशा में बचाये रखना जरूरी हो जाता है।
नगर निगम, राज्य सरकार भूमि की अदला-बदली को लेकर जल्द निर्णय लें, ताकि शहर के मध्य हिस्से का ग्रीन कवर बच सके।
नगर निगम दूरसंचार मंत्री से करेगा संपर्क
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के पदाधिकारियों ने टेलीकाॅम फैक्ट्री की भूमि बिकने से बचाने को लेकर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू से चर्चा की जिसमें महापौर ने आश्वासन दिया कि दूरसंचार मंत्री से इस संबंध में संपर्क कर उन्हें एक आग्रह पत्र भी जल्द भेजा जाएगा। उन्होंने मंच के पदाधिकारियों काे आश्वासन दिया कि इसको लेकर वे खुद पहल करेंगे।
सदन की बैठक में हो चर्चा
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पी.जी. नाजपांडे ने महापौर से आग्रह किया है कि सदन की बैठक में टेलीकॉम फैक्ट्री की भूमि के अदला-बदली पर चर्चा करना आवश्यक है। यह अदला-बदली छोटी लाइन से गौरीघाट के नैरोगेज भूमि के संबंध में सदन में पारित प्रस्ताव के तर्ज पर हो।
मंच के रजत भार्गव, एड. वेदप्रकाश अधौलिया, सुशीला कनौजिया, डी.आर. लखेरा ने इस संबंध में जल्द निर्णय लेने का आग्रह किया। हालाँकि कहा गया है कि 15 जुलाई को सदन की बैठक बजट के लिए आयोजित है, अतः अन्य विषयों पर चर्चा नहीं हो सकेगी, लेकिन अगली बैठक में टेलीकॉम फैक्ट्री की भूमि बावद् चर्चा संभव है।
लाखों की आबादी पर पड़ेगा असर
स्नेह नगर विकास समिति के विनोद दुबे, भाजयुमो के रंजीत पटेल, का कहना है कि यदि फैक्ट्री की भूमि के पेड़ों को काट दिया जाता है, भूमि बेच दी जाती है तो इससे हजारों नहीं शहर की लाखों की आबादी पर प्रभाव पड़ेगा।
जहाँ लाखों की आबादी का हित हो वहाँ पर सरकारों को जल्द से जल्द निर्णय लेकर पीढ़ियों का भला करना चाहिए। इस भूमि पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम और पार्क बनाया जाना चाहिए।