विडंबना: गढ़ा बाजार तक चौड़ाई बढ़े तो मिलेगा फायदा, कार्य में नहीं दिख रहा कोई विजन

मदन महल-गढ़ा सड़क को महज गंगासागर तक किया जा रहा चौड़ा, ऐसे में बरकरार रहेगी समस्या

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-10 09:05 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

मदन महल से गंगा सागर आमनपुर की सीमा तक सड़क को 60 फीट चौड़ा बनाया जा रहा है। इस मार्ग पर अभी विद्युत पोल शिफ्ट किये जा रहे हैं और लंबे अरसे से यह सड़क लोगों के लिए मुसीबत का कारण बनी हुई है। पश्चिमी हिस्से की यह अहम सड़क है जो मदन महल से गंगा सागर, एकता चौक, बीटी तिराहा, आनंद कुंज, गढ़ा बाजार, पण्डा की मढ़िया तक आसपास के एरिया को जोड़ती है। इस मार्ग को अधूरा बनाने को लेकर लोगों को अफसोस हो रहा है। मदन महल से लेकर गढ़ा बाजार तक लोगों का इस सड़क काे सीमित या छोटे दायरे में चौड़ा बनाने को लेकर कहना है कि इसको पूरे दो किलोमीटर की सीमा में चौड़ा किया जाए तभी क्षेत्र को असली फायदा मिल सकता है। केवल कुछ मीटर की सीमा तक चौड़ा होने से यह सड़क जनता को पूरी राहत देने वाली नहीं है। अभी केवल मदन महल चौराहे से गंगा सागर तालाब की सीमा तक 800 मीटर के दायरे में इसको 2 करोड़ रुपए से नया बनाया जा रहा है। लोगों का कहना है कि इसको बनाने का तरीका भी उबाऊ और पीड़ादायक है जिसमें महीनों से काम अटका हुआ है। वैसे भी कोई भी निर्माण कार्य आने वाले कई वर्षों के विजन को लेकर कराया जाता है, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है।

यह रास्ता 4 से 5 लाख आबादी को जोड़ता है।

शाहीनाका, गढ़ा ओवरब्रिज, रानीताल के बाद दूसरा मार्ग।

चौड़ा बनने से पश्चिमी हिस्से में रोड स्ट्रक्चर बेहतर होगा।

अभी सँकरी सड़क से बड़े हिस्से में हर दिन जाम और परेशानी।

कब्जे 3 बार हटाए, सड़क नहीं बनी

क्षेत्र के मुकेश शर्मा, दिनेश पटेल, संतोष शुक्ला कहते हैं कि एरिया में कब्जे अलग-अलग वर्षों में 3 से 4 बार तक हटाए जा चुके हैं लेकिन अब तक इस मार्ग का असल रूप में अपग्रेडेशन नहीं हो सका है। इस बार फिर मदन महल से गंगा सागर तक अतिक्रमण अलग किये जा रहे हैं, कम से कम इस बार यह मार्ग बेहतर बनकर तैयार हो जाए। इस सड़क को सीधे गढ़ा बाजार तक चौड़ा बना दिया जाए तो बड़ी आबादी को लाभ मिल सकता है।

पूरे रास्ते में कस्बाई हालात

मदन महल से थोड़ा आगे बढ़ने पर इस मार्ग में हालात एकदम कस्बाई हैं। हर तरफ सड़क उधड़ी और 20 से 25 साल पहले की दुनिया में पहुँचा देती है। कुछ भी आज के दौर की संरचना के हिसाब से नहीं है। मार्ग को कई दशकों की कवायद के बाद भी विकसित नहीं िकया जा सका। छोटे-छोटे हिस्से के रूप में सड़क बनी पर जिस हिसाब से इसको विकसित किया जा सकता था उस पर नगर निगम ने कभी ध्यान ही नहीं दिया।

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