देवतुल्य कार्यकर्ताओं की बेरुखी, बूथ सम्मेलनों से बना रहे दूरी
‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ नारे के साथ इस समय हर मंडल में बूथ सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं।
डिजिटल डेस्क,कटनी।
प्रदेश में पांचवीं बार सत्ता में वापसी के लिए पूरे दमखम से जुटे भाजपा नेताओं को उन कार्यकर्ताओं की बेरुखी का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हे वे देवतुल्य कहते हैं। ये देव इन दिनों कुछ ज्यादा ही रूठे हैं। यही वजह है कि सावन में भी मन मुरझाया हुआ है। ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ नारे के साथ इस समय हर मंडल में बूथ सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। जहां जिला स्तर के पदाधिकारियों को जीत का मंत्र देने भेजा जा रहा है, इन पदाधिकारियों के सामने संकट यह है कि मैदानी कार्यकर्ता मान-मनुहार के बाद भी नहीं पहुंच रहे हैं। बीते दिवस सोशल मीडिया में वायरल हुए सिनगौड़ी एवं कांटी मंडल के बूथ सम्मेलनों में महज 20-25 लोग दिखाई दे रहे थे। जबकि प्रत्येक मंडल में करीब 50 से ज्यादा बूथ हैं और हर बूथ में 10-10 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई गई है लेकिन पार्टी के कार्यक्रमों से वे लोग ही दूरी बनाए हैं, जिन्हे सरकार की उपलब्धियां बताने और चुनाव के दौरान बूथों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते गुरुवार को जिला कार्यालय में डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी जयंती पर महज 12 से 14 पदाधिकारी ही नजर आए।
नारी सम्मान, लाड़ली बहना-कौन किस पर भारी
पूरे प्रदेश की तरह जिले में भी सरकार की लाड़ली बहना और कांग्रेस की नारी सम्मान योजनाओं के बीच जोर आजमाइश चल रही है। जिसमें अब तक सरकार ही आगे है। जिले की दो लाख से ज्यादा लाड़ली बहनों के खातों में एक-एक हजार रुपये आ चुके हैं तो कांग्रेस के लोग हाईकमान से मिले टारगेट के अनुसार 50 फीसदी फार्म भी नहीं भरा पाए हैं। नारी सम्मान के फार्म भरवाने में कांग्रेसी सोशल मीडिया तक सिमटे हैं। ये फार्म भी हाईकमान को नहीं भेजे जाने हैं। गूगल शीट पर संबंधित महिलाओं की डिटेल्स भरकर कांग्रेस मुख्यालय भेजना है और फार्मों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी उन्ही नेताओं की होगी, जिन्होंने फार्म भरवाए हैं।
यहां भी शोषित, उनकी सुध कौन लेगा
सीधी कांड को लेकर कांग्रेस,आम आदमी पार्टी सहित तमाम विरोधी दलों ने रैली व प्रदर्शन कर सरकार को घेरने का प्रयास किया। कांग्रेसी तो बुलडोजर लेकर ही कचहरी पहुंच गए थे। घटना के तीसरे दिन दर्जन भर से अधिक आदिवासी व समाजिक संगठन भी एकजुट हो कलेक्टोरेट पहुंचे। इन्होंने भी कार्रवाई की वहमांग दोहराई जो घटना सामने आने के बाद सरकार व प्रशासन पहले ही कर चुकी थी। देखा जाए तो सीधी कांड को लेकर हर दल में स्वयं को आदिवासियों, दलितों का हितैषी निरुपित करने की होड़ सी लग गई है पर जिले में इनके हो रहे शोषण पर अब तक किसी ने आवाज नहीं उठाई। जिले में आदिवासियों, दलितों के प्रताडऩा की घटनाएं जब-तब सामने आती रही हैं पर उनके समर्थन में कोई सामने नहीं आता है। जनसुनवाई में ही बहोरीबंद ब्लॉक के ग्राम बघराज कला की बुजुर्ग हरिबाई पति कन्छेदी ने पट्टा की जमीन में वन विभाग के कब्जा की शिकायत की। हरिबाई को राजस्व भूमि के नाम पर पट्टा दिया गया था लेकिन बाद में वह वन विभाग की निकली और वन विभाग ने उस पर कब्जा कर लिया। हरिबाई जैसे अनेकों पीडि़त हैं जो अपनी जंग स्वयं लड़ रहे हैं। काश, सीधी कांड को लेकर धरना-प्रदर्शन करने वाले अपने आसपास होने वाले शोषण पर ही नजर दौड़ा लेते तो कई लोगों को प्रताडऩा से मुक्ति मिल जाती, उन्हें उनका हक मिल जाता।