अच्छी पहल: भेड़ाघाट और लम्हेटाघाट की चट्टानें दुनिया भर में जानी जाती हैं, मिल चुके हैं सदियों पुराने फाॅसिल्स
जियोलॉजिकल पार्क के लिए भेड़ाघाट में 12 हेक्टेयर जमीन आवंटित
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
भेड़ाघाट में जियोलॉजिकल पार्क बनाने के लिए 12 हेक्टेयर चयनित भूमि का आवंटन कलेक्टर द्वारा िकया गया है। इस भूमि पर पर्यटन विभाग जियोलॉजिकल पार्क के साथ ही पर्यटन संबंधित गतिविधियों का संचालन कर सकेगा। जमीन का आवंटन संभागीय नजूल निर्वर्तन समिति की अनुशंसा के बाद किया गया है। चूँकि भेड़ाघाट और उससे लगे लम्हेटाघाट जियोलॉजिकल गतिविधियों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। कभी यहाँ डायनासोर और उसके अण्डों के फाॅसिल्स मिल चुके हैं।
बताया जाता है कि पर्यटन विभाग ने ग्राम भेड़ाघाट की भूमि खसरा नम्बर 39-1 रकबा 17.080 में से 12 हेक्टेयर भूमि की माँग पर्यटन गतिविधि जियोलॉजिकल पार्क के लिए की थी। प्रकरण में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा स्थल का चयन कर ग्राम भेड़ाघाट के उपरोक्त खसरे और रकबे की भूमि आवंटित किए जाने के लिए जिला नजूल निर्वर्तन समिति द्वारा भूमि आवंटित किए जाने की अनुशंसा सहित संभागीय नजूल निर्वर्तन समिति को भेजा गया था। कार्यालय कमिश्नर जबलपुर संभाग में संभागीय नजूल निर्वर्तन समिति की बैठक 7 जून को आयोजित हुई, जिसमें भूमि आवंटित करने का अनुमोदन किया गया। इसके पश्चात कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन द्वारा उपरोक्त जमीन का आवंटन किया गया।
शर्तों के आधार पर दी जमीन
कलेक्टर कार्यालय द्वारा जमीन तो आवंटित की गई लेकिन कुछ शर्तें भी लागू की गई हैं। उनमें कहा गया है कि भूमि मप्र शासन पर्यटन विभाग को नि:शुल्क आवंटित की गई है अर्थात इस भूमि पर प्रीमियम एवं प्रव्याजी देय नहीं होगा। शर्तों का पालन हो रहा है कि नहीं इसके लिए जिला कलेक्टर व उनके अधिकृ+त प्रतिनिधियों को भूमि व वहाँ निर्मित होने वाले परिसर के निरीक्षण का अधिकार होगा। निर्माण के पूर्व संबंधित विभागों से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा एवं मास्टर प्लान और समस्त पर्यावरणीय नियमों का पालन अनिवार्य होगा।
कई दलों ने किया सर्वेक्षण
बताया जाता है कि वर्ष 1928 में सबसे पहले विलियम हेनरी स्लीमेन ने इस क्षेत्र में डायनासोर के जीवाश्म की खोज की थी। इसके बाद से ही यह क्षेत्र दुनिया भर के लिए कौतुहल का विषय रहा है। बाद में दुनिया भर के सर्वेक्षण दलों ने यहाँ कार्य किए। पुणे यूनिवर्सिटी ने भी यहाँ काफी कार्य किया था, उसे पाषाण काल के हथियार भी मिले थे। प्रसिद्ध जियोलॉजिस्ट प्रो. विजय खन्ना ने लम्हेटा और भेड़ाघाट पर अनेक लेख लिखे और यहाँ के संबंध में कई रोचक जानकारियाँ भी दीं।