करोड़ों खर्च करके एग्जीबिशन सेंटर बनाया लेकिन चार साल में भी नहीं बन पाई सड़क, हर तरफ दलदल

ये कैसी वर्किंग: मनमोहन नगर के समीप उद्योग विभाग ने कराया था निर्माण, अब हाल-बेहाल, कोई देखने वाला नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-19 08:38 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

शहर की औद्योगिक इकाइयाँ अपने व्यापार में बढ़ोत्तरी करने समय-समय पर एक ही जगह पर कार्यक्रम आयोजित कर सकें। इसके लिए उद्योग विभाग द्वारा मनमोहन नगर में अस्पताल के पीछे करोड़ों की लागत से एग्जीबिशन सेंटर का निर्माण करवाया गया। उक्त काम कितना अन्प्लांड तरीके से किया गया है, इसका अंदाजा एग्जीबिशन सेंटर की सड़क को देखकर लगाया जा सकता है। यह पूरी सड़क ही कच्ची है और कीचड़ से लथपथ है। क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि लोग घर भी बनाते हैं, तो प्लानिंग करते हैं, लेकिन सरकारी अफसरों के काम करने का तरीका हैरान कर रहा है। यहाँ बिल्डिंग बनाने में सरकारी मद के करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन एग्जीबिशन सेंटर के लिए पहुँच मार्ग नहीं बनाया गया। कच्ची सड़क पर ही स्ट्रीट लाइट के पोल लगा दिए गए हैं, जो आज तक रोशन नहीं हो पाए। सड़क के तो हाल ही बेहाल हैं। चिंताजनक बात यह है कि शहर के जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में उदासीन हैं। इतने बड़े प्रोजेक्ट को लेकर काेई आवाज उठाने वाला नहीं है। यही कारण है कि करोड़ों की बिल्डिंग वर्षों से महज शो-पीस बनी हुई है।

हर जुबां पर यही सवाल, आखिर कैसे पहुँचेंगे लोग

क्षेत्रीय नागरिकों ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से बन रहे इस एग्जीबिशन सेंटर का एक-दो बार ही उद्योग विभाग के अधिकारियों ने अवलोकन किया है, लेकिन वे यहाँ की विसंगितियों को दूर नहीं कर पाए। एक तो करोड़ों का भवन किसी उपयोग में नहीं आ रहा है, दूसरी तरफ यहाँ पहुँचने के लिए बेहतर सड़क ही नहीं है। चारों तरफ दलदल है। लोगों का सवाल ये है कि यदि सेंटर चालू हुआ तो लोग यहाँ पहुँच कैसे पाएँगे। एक और चिंताजनक बात यह है कि यहाँ अतिक्रमण भी होने लगे हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो यहाँ खाली पड़ी जगह ही कब्जों में गायब हो जाएगी। नागरिकों का कहना है कि यहाँ पक्की सड़क के निर्माण के साथ स्ट्रीट लाइट भी चालू की जानी चाहिए।

अनियमितता व उदासीनता की भेंट चढ़ा प्रोजेक्ट

औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोगों की मानें तो एग्जीबिशन सेंटर का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद उद्योग विभाग द्वारा किसी भी औद्योगिक इकाई संचालक को यहाँ न तो अवलोकन के लिए बुलवाया गया और न ही उनसे किसी तरह का सलाह मशविरा ही किया गया। नतीजतन यह एग्जीबिशन सेंटर पर्याप्त जगह होने के बावजूद काफी छोटा बन गया और बाद में इसे ठीक कराने के लिए पुन: हाउसिंग बोर्ड से उद्योग विभाग द्वारा चर्चा कर फिर से यहाँ पर तोड़फोड़ एवं निर्माण कराया जा रहा है। इतना ही नहीं तत्कालीन कलेक्टर से शिकायतें करने के बावजूद उद्योग विभाग के जिम्मेदारों ने किसी भी उद्योग संघ के लोगों से इस एग्जीबिशन सेंटर में अपेक्षित सुविधाओं के संबंध में चर्चा भी नहीं की।

2 करोड़ 66 लाख की लागत से हुआ था निर्माण

अपने लिए अलग भवन बनाने की माँग उद्योग संघों द्वारा समय-समय पर शासन तक पहुँचाई जाती रही। इसके बाद उद्योग विभाग द्वारा त्रिमूर्ति नगर दमोहनाका में 2 करोड़ 66 लाख की लागत से एग्जीबिशन सेंटर का निर्माण करीब 4 वर्ष पूर्व करवाया गया था। जिस समय इस एग्जीबिशन सेंटर को बनाना शुरू किया गया था, उस समय उद्योग संघों से जुड़े लोगों को भी समय-समय पर इसका अवलोकन कराने का आश्वासन उद्योग विभाग के जिम्मेदारों ने दिया था, लेकिन रातों-रात यह भवन बना दिया गया और किसी को जानकारी ही नहीं लग सकी।

महँगी होटलों में करने पड़ रहे अभी आयोजन

उद्योग जगत से जुड़े लोगों की मानें तो लम्बी समयावधि बीतने पर भी एग्जीबिशन सेंटर बनकर तैयार नहीं हुआ। इसी कारण उद्योग संचालकों को व्यापार से जुड़ी प्रदर्शनी, सेमिनार व कार्यशाला का आयोजन शहर की महँगी होटलों में करना पड़ रहा है। यदि समय रहते एग्जीबिशन सेंटर बन जाता ताे न केवल उद्योग जगत को मोटी रकम खर्च करने से निजात मिल जाती, बल्कि वे नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित कर अपने व्यापार में वृद्धि कर सकते थे। पी-2

अवलोकन भी नहीं कराया

एग्जीबिशन सेंटर का निर्माण शुरू होने के बाद से लेकर अभी तक उद्योग संचालकों से न तो किसी तरह का मशविरा लिया गया और न ही उन्हें ले जाकर सेंटर का अवलोकन करवाया गया। यही वजह है कि आज भी हमें अन्यत्र जगहों पर कार्यक्रम आयोजित करने पड़ रहे हैं, जिससे आर्थिक व्यय होने के साथ ही अन्य तरह की परेशानियाँ झेलनी पड़ रही हैं।

डीआर जेसवानी, कार्यकारी अध्यक्ष महाकोशल उद्योग संघ

एग्जीबिशन सेंटर में अभी कुछ और जरूरी निर्माण कार्य किया जाना है। इसके लिए हम जल्द ही यहाँ का जायजा लेकर संबंिधत लोगों से चर्चा करेंगे। इसके अलावा गंदगी व अवैध कब्जों की समस्या को दूर कराने के लिए नगर निगम एवं जिला प्रशासन से बात की जाएगी।

-विनीत रजक,

महाप्रबंधक, उद्योग विभाग

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