यात्री बसों के हाल: कुछ के इमरजेंसी डोर जाम, कहीं शो-पीस बने फायर सिस्टम, कार्यवाही में खानापूर्ति
यात्रियों की जान से किया जा रहा खिलवाड़, लंबी हो या कम दूरी की बसें, किसी में भी सुरक्षा मानक पूरे नहीं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
महाराष्ट्र के बुलढाणा में हाईवे पर यात्री बस में लगी आग में 26 लोग जिंदा जल गए। यह दुर्घटना हौलनाक थी जिसने अहसास करा दिया है कि ऐसा हादसा यदि अभी नहीं चेते तो आसपास कभी भी हो सकता है। जबलपुर में तो हालत यह है कि यात्री बसों को सवारी ढोने का साधन बस समझा जाता है। इन बसों में सुरक्षा के जो मानक होते हैं उसकी हर स्तर पर अनदेखी हो रही है। परिवहन विभाग जिसको इन बसों में सभी तरह के मापदण्डों का पालन हो इसकी माॅनिटरिंग के साथ कार्रवाई करना है वह विभाग देखा जाए तो बीते कई सालों से खानापूर्ति ही कर रहा है।
जब कभी हादसा हुआ तो कुछ सक्रियता दिखाई जाती है लेकिन जैसे ही मामला ठण्डा हुआ तो सब कुछ पुराने ढर्रे पर आ जाता है। जबलपुर में 1200 अलग-अलग तरह की बसें पंजीकृत हैं, जानकारों का कहना है कि इनमें से मुश्किल से कुछ बसें ही सुरक्षा मानक पूरे कर रही होंगी वह भी तब जब ये जाँच के लिए खड़ी कर ली जाती हैं, शेष में सब कुछ कागजों में बेहतर है मौके पर नहीं।
मौके पर कुछ ऐसे मिले हालात
कम दूरी की बसों में इमरजेंसी दरवाजे पर कहीं ताला लटका हुआ है, तो कहीं आपात स्थिति आ जाए तो वह दरवाजा खुल ही नहीं सकता, क्योंकि वह सालों से जाम है। इसी तरह फायर सेफ्टी सिस्टम फायर अलार्म नये मापदण्डों में बसों में लगाना है। अग्निशमन यंत्र रखना जरूरी है लेकिन ये चलने की हालत में नहीं हैं। मौके पर आदमी को इमरजेंसी दवाएँ दी जा सकें इसके लिए फर्स्ट ऐड किट जरूरी है पर ज्यादातर के पास यह नहीं है। इस तरह बसों में जो एकदम शुरुआती सुरक्षा मानक होते हैं वे तक भुला दिये गये हैं।
इनमें सीट बढ़ाने की होड़ लगी
जबलपुर से नागपुर, जबलपुर से भोपाल, रायपुर, इंदौर, इलाहाबाद, बिलासपुर, रीवा जैसी कुछ लंबी दूरी पर चलने वाली बसों में सीट को स्लीपर बनाने की होड़ में इमरजेंसी दरवाजा और अन्य संसाधनों को दरकिनार कर बस सीट बढ़ा दी गई हैं। ऑल इंडिया परमिट की इन बसों में ज्यादा सीटें बढ़ाई जा सकें इसके लिए हर तरह का जतन है। आपदा के समय आदमी की जान कैसी बचेगी इसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। इन बसों में पार्सल ढोने सामान रखने की जगह है पर इमरजेंसी दरवाजे को तुरंत खुलने वाली हालत में नहीं देखा जा सकता है।