जबलपुर: घरों से ब्लड सैंपल लेने में अनाड़ी साबित हो रहे पैथोलाॅजी सेंटर के कलेक्शन एजेंट
- सभी तरह के नियमों से खिलवाड़, खुद पैदा कर देते हैं संक्रमण का खतरा
- ब्लड के जिस नमूने को लेते हैं उसी को नई सिरिंज के साथ रखते हैं
- यूरिन का सैंपल भी ब्लड परखनली के साथ रखा जा रहा
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
शहर में सब्जी-फल, तरकारी की दुकानों की तरह खुले पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर के एजेंट ब्लड सैंपल कलेक्शन के दौरान नियमों को तार-तार कर रहे हैं। किसी भी पीड़ित के मर्ज के उपचार में जाँच ही अहम भूमिका अदा करती है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि आदमी का रक्त, यूरिन का नमूना बेहद सावधानी से लिया जाए, पर शहर में कोरोना काल के समय से हो यह रहा है कि इस वर्क में बेहद असावधानी बरती जा रही है।
रक्त का नमूना लेने के बाद जिस बैग में परखनली रखी जाती है उसमें नई सिरिंज को रखा जाता है। इसी तरह यूरिन का सैंपल भी बैग में रख लिया जाता है जिसमें वह हरगिज नहीं रखा जाना चाहिए। जान से खिलवाड़ के साथ हर स्तर पर संक्रमण के खतरों के बीच ब्लड का सैंपल अनट्रेंड तरीकों से कलेक्ट किया जा रहा है। हालात यहाँ तक हैं कि स्वास्थ्य विभाग को यह तक शिकायत मिल रही हैं कि औसत रूप से 100 कलेक्शन के दौरान 15 से 20 लोगों की कलेक्शन एजेंट रक्त की शिरा या वेन तक नहीं तलाश पाते हैं। कई बारी तो जो निडल ब्लड निकालने के लिए वेन के अंदर डाली जाती है वह टूट चुकी होती है।
इस तरह के हालात इसलिए हैं, क्योंकि पूरे मध्य प्रदेश में कलेक्शन सेंटर के लिए किसी तरह के पुख्ता नाॅर्म्स ही निर्धारित नहीं हैं। किसी बड़े पैथोलाॅजी सेंटर का तमगा लगाकर कलेक्शन सेंटर धड़ल्ले से खोला जा सकता है। एक्सपर्ट का मानना है कि पैथोलाॅजी के ऐसे कलेक्शन सेंटर, उनके अप्रशिक्षित कर्मी न केवल जाँचों का रिजल्ट गलत दे रहे हैं, बल्कि यह सीधे तौर पर जान से खिलवाड़ तक कर रहे हैं।
इस हद तक लापरवाही
स्ट्रेलाइज्ड सिरिंज के साथ सैंपल वाली परखनली रखी जा रही
खून वाला काॅटन भी उसी बैग में जिसमें लिया गया सैंपल रखा है
सैंपल रखने के लिए आइस पैक नहीं, टेम्परेचर का ख्याल दरकिनार
कई बारी कलेक्शन एजेंट खुद हाथ सेनिटाइज्ड नहीं करते हैं
वेन न मिले तो लेजर टाॅर्च का सहारा लें
एक्सपर्ट के अनुसार यदि किसी के हाथ की त्वचा मोटी है या हाथ में हल्का मांस की परत ज्यादा दिख रही है तो टेक्नीशियन के पास लेजर टाॅर्च हो तो रक्त की शिरा को आसानी से तलाशा जा सकता है, पर होता यह है कि बार-बार जोर आजमाइश के बाद रक्त का नमूना निकल जाता है, कई बारी तो आदमी इस प्रक्रिया में बेहद तकलीफ तक झेलता है।
हीमोलाइज्ड कर देते हैं ब्लड को
जिस व्यक्ति के रक्त का नमूना लिया गया है उसको आइस पैक में मानकों के अनुसार जाँच केन्द्र तक जाना चाहिए, पर हो यह रहा है कि मोटर साइकिल में हिलते-डुलते परखनली को हिलाते हुये लाया जाता है इससे कई बारी रक्त सेल्स टूट जाते हैं इससे ब्लड हीमोलाइज्ड हो जाता है जिससे परिणाम में अंतर स्वाभाविक रूप से आ जाता है।
ऐसी योग्यता होना जरूरी
कलेक्शन सेंटर से आने वाला एजेंट सीएमएलटी यानी सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन, डीएमएलटी यानी डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नीशियन धारी होना जरूरी है। साथ ही इसके पास एंटीसेप्टिक लोशन, लिक्विड, निडल डिस्पोजेबल सिरिंज होना जरूरी है। जो काॅटन नमूना के बाद लेता है उसको बायोवेस्ट के तहत अलग किया जाना जरूरी है। इन मानकों से दूर ज्यादातर कलेक्शन सेंटर चलाने वालों ने अनट्रेंड 10वीं, 12वीं पास लोगों को काम पर लगा रखा है जो सीधे तौर पर जान से खिलवाड़ जैसा ही है।
पूरे प्रदेश में जो पैथोलाॅजी कलेक्शन सेंटर चल रहे हैं उनके लिए सभी तरह के मानकों को तय करते हुये गाइडलाइन तैयार की जा रही है। प्रशिक्षित लोग नमूना कलेक्ट करें, नियमों का पालन हो और इसमें किसी तरह की लापरवाही न हो इसके लिए पूरे बिंदु तैयार किये जा रहे हैं।
डॉ. संजय मिश्रा, सीएमएचओ जबलपुर
एक नजर इस पर भी
शहर में कुल ब्लड बैंक 6 हैं
सरकारी ब्लड बैंक 3 और 3 प्राइवेट हैं
अधिकृत पैथोलाॅजी सेंटर की संख्या -74
कलेक्शन सेंटर 150-200 की संख्या में
सेंटर के लिए कोई पुख्ता नाॅर्म्स नहीं हैं