जबलपुर: फोर्थ ईयर के छात्रों की कक्षाएँ अगले माह से शुरू होंगी पर अभी तक किताबों का पता नहीं
- दो महीने लगेंगे यूजी की बुक्स के प्रकाशन में, पढ़ाई पर असर पड़ना तय
- जानकारों का कहना है कि पुस्तकों के प्रकाशन में दो महीने से भी ज्यादा का समय लग सकता है।
- विभाग को फोर्थ ईयर के लिए 80 से ज्यादा विषयों का सिलेबस तैयार करना था।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कॉलेजों में इस सत्र से यूजी फोर्थ ईयर शुरू होने जा रहा है। यह ऑनर्स और रिसर्च विथ ऑनर्स में होगा। चंद दिनों के बाद अगले महीने से कक्षाएँ लगनी भी शुरू होने वाली हैं लेकिन अब तक कोर्स की किताबें प्रकाशित नहीं हो पाई हैं।
जानकारों का कहना है कि पुस्तकों के प्रकाशन में दो महीने से भी ज्यादा का समय लग सकता है। लिहाजा, पुस्तकों के अभाव में पढ़ाई का प्रभावित होना तय है।
मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी विद्यार्थियों के लिए किताबों का प्रकाशन करती है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का यह चौथा साल है। हैरानी वाली बात यह है कि शुरुआत से ही तय हो चुका था कि एनईपी में फोर्थ ईयर रहेगा, इसके बावजूद भी न वक्त पर सिलेबस तय हो पाया
और न ही किताब उपलब्ध हो सकी। जानकारों का कहना है कि सितंबर-अक्टूबर तक पुस्तकें हासिल हो सकती हैं। इससे जाहिर है कि विद्यार्थियों की पढ़ाई पर काफी असर होगा। छात्रों को पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल सकेगा।
80 से ज्यादा विषयों का सिलेबस- विभाग को फोर्थ ईयर के लिए 80 से ज्यादा विषयों का सिलेबस तैयार करना था। लेकिन अब भी शत-प्रतिशत काम पूरा नहीं हो पाया है। कई विषयों के शिक्षकों की कमी है। इस वजह से प्रमुख विषयों का काम तो पूरा हो चुका है लेकिन कई विषयों का काम अब भी अधूरा है।
गौरतलब है कि अकादमी हर साल विद्यार्थियों के लिए किताबें प्रकाशित करती है। इससे लाखों छात्रों को लाभ होता है लेकिन यह समय से प्रकाशित नहीं हो पाती।
प्लानिंग की कमी- फोर्थ ईयर को लेकर पूरी प्रक्रिया ही शुरू से धीमी गति से संचालित हुई। सिलेबस तैयार करने का काम भी जून तक चलता रहा। इसके बाद इसे अपलोड किया गया। जानकारों का कहना है कि सही प्लानिंग न होने की वजह से अभी तक किताबों के लिए लेखन कार्य चल रहा है। किताबों का प्रकाशन बुरी तरह से प्रभावित हो गया है।