जबलपुर: नहीं चलीं सिटी बसें, परेशान हुए लोग
- चालक-परिचालकों ने वेतन भुगतान न होने पर वाहन चलाने से किया इनकार
- सैलरी माँगने पर उन्हें प्रताड़ित कर ड्यूटी भी होल्ड कर दी जाती है।
- बसों के अचानक न चलने से शहर में गुरुवार को करीब 12 हजार से अधिक लोगों को बस सेवा का लाभ नहीं मिला।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर में गुरुवार को 55 सिटी बसों का संचालन नहीं हुआ। अमृत योजना की वाइट बसें नहीं चल सकीं, केवल पुराने छोटी बसों का ही संचालन किया गया। बड़ी सिटी बसों का संचालन न होने की वजह यह रही कि इन बसों को चलाने वाले चालक और परिचालक वेतन न मिलने से नाराज थे।
ड्राइवर और कंडक्टर्स ने सैलरी न मिलने पर वाहनों को चलाने से इनकार कर दिया। इस दौरान उन्होेेंने प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी भी की। ड्राइवरों ने चेतावनी दी है कि जब तक सैलरी और पीएफ का पैसा नहीं मिलता, तब तक हड़ताल से वापस नहीं लौटेंगे।
ज्यादातर बसों के अचानक न चलने से शहर में गुरुवार को करीब 12 हजार से अधिक लोगों को बस सेवा का लाभ नहीं मिला। हालांकि छोटी 30 से 35 बसाें का संचालन हुआ, लेकिन अधिकांश रूटों में समस्या रही जिससे लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी।
गौरतलब है कि शहर में जब पूरी 100 बसों का संचालन होता है तो करीब 18 से 20 हजार तक जनता हर दिन इनमें सफर करती है। ज्यादातर बसों का संचालन न होने से यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
चालकों ने बसें नहीं चलाने पर कहा कि एक साल से उनकी सैलरी से हर महीने 2 हजार रुपए पीएफ के नाम पर काटा जाता है। लेकिन उनके पास न तो पीएफ का मैसेज आता है और न ही किसी प्रकार की जानकारी उन्हें दी जाती है।
सैलरी माँगने पर उन्हें प्रताड़ित कर ड्यूटी भी होल्ड कर दी जाती है। इधर इस मामले में सेवा से जुड़े सचिन विश्वकर्मा ने कहा कि कर्मियों की वेतन संबंधी समस्या को निपटा लिया गया है।
ऑटो रिक्शा चालक ने बढ़ा दिए रेट
शहर में ज्यादातर सिटी बसों के न चलने पर ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा वालों ने ज्यादातर हिस्सों में मनमानी वसूली की। आमतौर पर सिटी बसों के संचालन में ऑटो का किराया फिर भी सीमित होता है लेकिन बसों के न चलने पर इनका किराया अचानक बढ़ा दिया जाता है।