रेलपाँतों की चोरी का मामला : कार्रवाई को लेकर उठ रहे सवाल, जाँच प्रभावित होने की आशंका
रेलवे ठेकेदार को अब तक नहीं किया ब्लैक लिस्टेड एसएससी की पदस्थापना को लेकर भी चर्चाएँ सरगर्म
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
पश्चिम मध्य रेल के जबलपुर मंडल की भिटौनी साइड से रेलपाँतों के चोरी होने के मामले में ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड नहीं किए जाने और एक अधिकारी को जबलपुर में ही पदस्थ किए जाने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ हैं। जानकारों की मानें तो इस मामले के मुख्य आरोपी रेलवे ठेकेदार को दो माह बाद भी ब्लैक लिस्टेड नहीं किया गया। वहीं इंजीनियरिंग विभाग के एसएससी जेपी मीणा को भी निलंबन अवधि में दूसरे मंडल में पदस्थ करने की बजाय ट्रेनिंग सेंटर में पदस्थ कर दिया गया, जिससे जाँच प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इतना ही नहीं, इसी मामले में आरोपित एक इंजीनियर तिरासी लाल को बागरातवां भेज दिया गया है, जिससे रेल प्रशासन की अलग-अलग कार्रवाई को लेकर और भी चर्चाएँ हो रही हैं।
गौरतलब है कि भिटौनी साइड में पुरानी रेलपाँतों को निकालकर नई रेलपाँतें डालने के दौरान यहाँ से करीब 12 टन रेलपाँतें चोरी हो गई थीं। इसकी जानकारी आरपीएफ काे लगते ही आनन-फानन में की गई जाँच में इस बात का खुलासा हुआ कि मामले में रेलवे का ही ठेकेदार साेमू श्रीवास्तव शामिल है। उसकी गिरफ्तारी के बाद साइड से रेलपाँतें ले जाने वाले चालक पीर मोहम्मद और रद््दी चौकी निवासी तसलीम को भी गिरफ्तार किया गया।
आरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर के साथ अधिकारी भी शामिल
आरपीएफ द्वारा की जा रही इस जाँच में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि इस पूरे मामले में इंजीनियरिंग विभाग के एसएससी, भिटौनी साइड का एक इंजीनियर और आरपीएफ का एक सब-इंस्पेक्टर भी शामिल है। आरपीएफ ने इन्हें भी गिरफ्तार किया, जिसके बाद सस्पेंड तक िकया गया है। सूत्रों का कहना है कि इतने बड़े मामले का खुलासा होने के बाद भी ठेकेेदार को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया गया। इस मामले में एसएससी, साइड इंजीनियर व सब-इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर सब-इंस्पेक्टर को मैहर तो इंजीनियर को बागरातवां में पदस्थ किया गया जबकि एसएससी स्तर के अधिकारी को बाहर भेजने की बजाय ट्रेनिंग सेंटर में ही पदस्थ किया गया। जिसको लेकर ये चर्चाएँ हैं कि इनके यहाँ पदस्थ होने से जाँच प्रभावित हाे सकती है।