अवैध यूनिपोल लगाने का मामला: नियमों को तोड़ा, शासकीय सम्पत्ति काे नुकसान पहुँचाया

  • महापौर, निगमायुक्त को प्रकरण दर्ज कराने सौंपा ज्ञापन
  • दर्ज नहीं हो पाई एफआईआर
  • एजेंसी संचालक के खिलाफ अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-16 13:07 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। होमसाइंस कॉलेज के समीप विज्ञान भवन के सामने 13 अगस्त को नियमों को तोड़ते हुए यूनिपोल लगाने के लिए फुटपाथ को खोदकर शासकीय सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने के मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है।

नागरिकों का कहना है कि इस मामले में नगर निगम के अधिकारी यूनिपोल एजेंसी के संचालक को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। एजेंसी संचालक के खिलाफ अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने बुधवार को महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू और नगर निगम आयुक्त कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर यूनिपोल एजेंसी के संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की माँग की है।

ज्ञापन में कहा गया है कि शहर में यूनिपोल माफिया को नियम तोड़ने की खुली छूट मिली हुई है। उनकी जहाँ मर्जी होती है, वहाँ पर यूनिपोल टाँग देते हैं। मंगलवार को एसएस कम्युनिकेशन के संचालक राजदेव शर्मा ने अवैध तरीके से यूनिपोल लगाने के लिए फुटपाथ खोद दिया।

हैरान करने बात यह है कि फुटपाथ के नीचे से इलेक्ट्रिक केबल जा रही थी। इससे बड़ा हादसा हो सकता था। मप्र आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017 के नियम 29 में कहा गया है कि बिजली, दूरसंचार, बारिश का पानी, जलापूर्ति और मलजल को बाधित नहीं होने देने का उत्तरदायित्व पूर्ण रूपेण एजेंसी का होगा।

नियम 28 में स्पष्ट किया गया है कि सड़क और फुटपाथ से 3 मीटर की दूरी पर ही यूनिपोल लगाए जाएँगे। इसके बाद भी यूनिपोल एजेंसी ने फुटपाथ को खोदकर शासकीय सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाया। इससे फुटपाथ के नीचे डाली गई इलेक्ट्रिक केबल भी क्षतिग्रस्त हो सकती थी।

नियम तोड़ने वाली एजेन्सी को ब्लैक लिस्टेड करने का प्रावधान

मप्र आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम 2017 के नियम 22 के अनुसार बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वाली यूनिपोल एजेन्सी को तीन वर्ष के लिए ब्लैक लिस्टेड करने का प्रावधान है। दो बार नियमों का उल्लंघन करने पर एक वर्ष के लिए एजेन्सी पर प्रतिबंध लगाने का भी प्रावधान है।

अभी तक शुरू नहीं हुई जाँच

नगर निगम ने शहर में नियम विरुद्ध और खतरनाक तरीके से लगाए गए यूनिपोल और होर्डिंग की जाँच के लिए समिति का गठन किया है, लेकिन डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी जाँच शुरू नहीं हो पाई है।

इस मौके पर डॉ. पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव, एड. वेदप्रकाश अधौलिया, टीके रायघटक, डीके सिंह, जीपी विश्वकर्मा, उमेश दुबे, सुशीला कनौजिया, उमा दाहिया, सुभाष चंद्रा, केसी सोनी, पीएस राजपूत, संतोष श्रीवास्तव, डीआर लखेरा, सतीश राय, एसके खरे, एचके विश्वकर्मा, अर्जुन और राममिलन शर्मा मौजूद थे।

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