जबलपुर: कागजों तक सीमित है प्रतिबंध, नर्मदा तटों पर धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही घातक पॉलीथिन

पॉलीथिन में ही रखकर बेची जा रही प्रसाद सामग्री, बिक रहे कोटेड दोने व खाद्य पदार्थ

Bhaskar Hindi
Update: 2023-10-27 09:15 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

पर्यावरण और मानव सेहत के लिए घातक मानी जाने वाली पॉलीथिन का इस्तेमाल धड़ल्ले से नर्मदा तट गौरीघाट में इन दिनों हो रहा है। हालात ये हैं कि प्रसाद सामग्री से लेकर खाद्य पदार्थ तक इन्हीं रंग-बिरंगी थैलियों में बेचे जा रहे हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन एवं नगर निगम के जिम्मेदार पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं। यही वजह है कि सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी थैलियाँ जगह-जगह बिखरी रहती हैं और उनका सेवन कर मवेशी भी गंभीर खतरा मोल ले रहे हैं।

शासन ने लगा रखी है रोक

जानकारों की मानें तो प्रदेश सरकार द्वारा बीती 1 जुलाई 2022 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इसके साथ ही पुलिस, नगर निगम एवं जिला प्रशासन द्वारा भी सिंगल यूज प्लास्टिक के भंडारण, विक्रय एवं परिवहन पर कार्रवाई कर समय-समय पर पॉलीथिन का विक्रय करने वाले गोदाम और फैक्ट्रियों में छापामार कार्रवाई भी की गई है। इसके साथ ही नर्मदा नदी को भी पॉलीथिन के प्रयोग से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए गौरीघाट सहित अन्य तटों पर भी सिंगल यूज प्लास्टिक काे प्रतिबंधित किया गया है।

बड़े निर्माताओं पर भी हो कार्रवाई

सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरों को देखते हुए न केवल गौरीघाट, बल्कि शहरभर के व्यापारियों के अलावा इनका उत्पादन एवं विक्रय करने वाले बड़े निर्माताओं पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। यदि पॉलीथिन का उत्पादन करने वाली इकाइयाँ ही इनका निर्माण एवं भंडारण नहीं करेंगी तो काफी हद तक यह संभव है कि शहरभर में कहीं पर भी ऐसी रंग-बिरंगी पॉलीथिन कभी नजर नहीं आएँगी और पर्यावरण के साथ ही मानव सेहत की भी सुरक्षा की जा सकेगी।

धीरे-धीरे फिर नजर आने लगीं पॉलीथिन

संबंधित जिम्मेदारों की लापरवाही से ही गौरीघाट में पॉलीथिन का इस्तेमाल एक बार फिर से नजर आने लगा है। यहाँ लगने वाली प्रसाद सामग्री की दुकानों के साथ ही खाद्य सामग्री का विक्रय करने वाली होटलों एवं दुकानों में भी रंग-बिरंगी पॉलीथिन में ही सामग्री का आदान-प्रदान किया जा रहा है।

खुले में फेंकी जा रही सामग्री

जिस धड़ल्ले के साथ गौरीघाट में पॉलीथिन का इस्तेमाल कर उन्हें खुले में फेंका जा रहा है, उसके कारण ही तट पर घूमने वाले मवेशी इनका सेवन कर अपनी सेहत के समक्ष गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। कुछ समय पहले ही गौरीघाट की एक गाय को पेट संबंधी समस्या होने पर स्वयंसेवी संस्था के सदस्यों ने चिकित्सक को दिखाया था और तब ऑपरेशन कर गाय के पेट से पॉलीथिन का ढेर निकाला गया था।

गौरीघाट में नियमित रूप से सफाई कराई जाती है, ताकि कचरा एवं पॉलीथिन का ढेर न लग सके। इसके अलावा पॉलीथिन का उपयोग रोकने समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।

भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, ननि

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