जबलपुर: टेलीकाॅम फैक्ट्री की जमीन पर खोला जाए एम्स जैसा संस्थान

  • भूमि और हरियाली को बचाने आगे आए कई संगठन
  • कहा- सरकार चाहे तो इसे बेचे बिना ही कर सकती है लाखों जरूरतमंदों का भला
  • शहर के जनप्रतिनिधियों व अन्य प्रभावशाली नागरिकों को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-23 12:24 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। टेलीकॉम फैक्ट्री की जमीन को बिकने से बचाने के लिए शहर के अनेक संगठन हर दिन आगे आकर अपनी ओर से भरसक कोशिश कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस भूमि का उपयोग सबसे बेहतर यही हो सकता है कि पार्क या इंटरनेशल स्टेडियम के अलावा इसमें एम्स जैसा संस्थान बनाया जाए, इससे जबलपुर ही नहीं बल्कि पूरे महाकौशल क्षेत्र के जरूरतमंदों को लाभ मिलेगा, साथ ही इस संस्थान के बनने के बाद जो भूमि बचे वहाँ बड़ा पार्क, खेल मैदान, सुपर स्पेशलिटी सेंटर के हाॅस्टल, मरीजों के लिए कमरे जैसी कई चीजें बनाई जा सकती हैं।

यदि केन्द्र सरकार ऐसा करती है तो यह वास्तव में सही विनिवेश होगा। जमीन बेचकर जनता के हित में पैसा खर्च करना है तो इसे बिना बेचे ही लाखों की आबादी का हित किया जा सकता है।

शहर के हर नागरिक को आगे आना होगा

स्नहे नगर विकास समिति, जेडीए आवासीय कल्याण संघ ने सोमवार को भी एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें समिति के सदस्यों ने निर्णय लिया कि फैक्ट्री की भूमि को बचाने के लिए अब आगे छोटी-छोटी बैठकें जगह-जगह आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जाएगा।

इसको लेकर शहर के ज्यादा से ज्यादा लोगों को आगे आना होगा। बैठक में विनोद दुबे, दिलीप नेमा, केएल चोपड़ा, हेमंत पोहेकर, राजकुमार, प्रशांत मिश्रा, कमल रावत, पीआर मिश्रा, टीपी चौधरी इत्यादि ने भाग लिया।

बड़ा अस्पताल बनने से होगा कई जिलों के जरूरतमंदों का भला

यादव काॅलोनी निवासी अजय कमल नेमा का कहना है कि मंडला, डिंडौरी, कटनी, दमोह, नरसिंहपुर समेत आसपास के अन्य जिलों के लिए जबलपुर एक केन्द्र बिन्दु जैसा है। इन जिलों से बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए जबलपुर आते हैं।

शासकीय स्तर पर यहाँ मेडिकल अस्पताल और विक्टोरिया जिला अस्पताल ही प्रमुख हैं। इन दोनों शासकीय चिकित्सालयों में मरीजों का लोड बहुत रहता है। जबलपुर में शासकीय स्तर पर एम्स जैसे अस्पताल की बेहद जरूरत है।

केन्द्र सरकार जनहित के लिए ही टेलीकॉम फैक्ट्री की जमीन को बेच रही है। यदि इस भूमि पर एम्स जैसा बड़ा व सर्वसुविधायुक्त हॉस्पिटल खोल दिया जाए तो आसपास के करीब एक दर्जन जिलों के लाखों परिवारों को सीधा फायदा मिलेगा। बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की कल्पना साकार हो सकती है। यहाँ केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए भी अस्पताल बनाया जा सकता है।

आगे आएँ शहर के जनप्रतिनिधि

पूर्व पार्षद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुकेश राठौर ने कहा है कि फैक्ट्री की जमीन व ग्रीनरी को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना जरूरी है। इसे केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के सामंजस्य से अदला-बदली की प्रक्रिया के तहत बचाया जा सकता है।

इसके लिए शहर के जनप्रतिनिधियों व अन्य प्रभावशाली नागरिकों को मिलकर प्रयास करना चाहिए। यहाँ पार्क, स्टेडियम और बड़ा शासकीय अस्पताल भी बनाया जा सकता है, जिससे जरूरतमंदों को लाभ मिलेगा।

टेलीकाॅम भूमि प्रकरण में पेश होगा हस्तक्षेप आवेदन

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने टेलीकॉम फैक्ट्री के मामले में बीएसएनएल की ओर से दायर याचिका में हस्तक्षेपकर्ता बनने का निर्णय लिया है। मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने बताया कि टेलीकाॅम फैक्ट्री की भूमि पर लगभग 18 से 20 हजार बहुत पुराने वृक्ष लगे हैं।

लिहाजा, अर्बन फॉरेस्ट के बिंदु को हस्तक्षेप आवेदन का आधार बनाया जाएगा। बीएसएनएल ने करीब 70 एकड़ जमीन में से 26 एकड़ जमीन मप्र शासन के नाम करने के आदेश को तो चुनौती दी है किंतु अर्बन फॉरेस्ट के बिंदु पर चुप्पी साध ली है।

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