490 करोड़ खर्च: 18 साल बीते, अभी पूरी बिछ भी नहीं पाई और चोक होने लगी सीवर लाइन

  • डेढ़ दशक में महज 400 किलोमीटर का ही हो पाया है काम, अभी भी आधे से ज्यादा शहर बाकी
  • प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 1200 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार को भेजी गई है।
  • डीपीआर को स्वीकृति मिलते ही सीवर लाइन बिछाने का काम किया जाएगा।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-24 13:07 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। शहर को क्लीन बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया सीवर लाइन का एक अहम प्रोजेक्ट भी अफसरों की लापरवाही की भेंट चढ़ रहा है। काम की गति का आलम ये है कि 18 साल बीत जाने के बाद भी इसका काम अधूरा है।

हैरानी की बात तो यह है कि पूरी बिछने से पहले ही सीवर लाइन चोक भी होने लगी है, जो इसके काम की गुणवत्ता को कठघरे में खड़ा कर रही है। बताया गया है कि इस कार्य में अब तक करीब 490 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अभी आधे से ज्यादा शहर में काम होना बाकी है।

उल्लेखनीय है कि नगर निगम ने शहर को स्वच्छ रखने हेतु वर्ष 2006 में सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू किया था। सीवर लाइन का काम इतनी सुस्त रफ्तार से चला कि 18 साल में केवल 400 किमी लम्बी ही सीवर लाइन बिछ पाई।

सीवर लाइन की खुदाई के कारण शहर के लोगों को महीनों परेशानी का सामना भी करना पड़ा। बताया गया है कि शहर में कुल 1100 किलोमीटर लम्बी सीवर लाइन डाली जानी है। हैरान करने वाली बात यह है कि 18 साल बाद अभी भी 700 किलोमीटर लम्बी सीवर लाइन डालने का काम बाकी है।

शहर में अभी धनवंतरी नगर, साईं कॉलोनी, परसवाड़ा, ग्रीन सिटी और उसके आसपास के क्षेत्रों में सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है।

सीवर लाइन से जुड़े 25 हजार मकान

नगर निगम के रिकॉर्ड में शहर के 2 लाख 90 हजार मकान दर्ज हैं, लेकिन सीवर लाइन से अभी केवल 25 हजार मकान ही जुड़ पाए हैं। अभी केवल विजय नगर, दमोहनाका, ग्रीन सिटी एवं अधारताल क्षेत्र के ही मकान सीवर लाइन से जुड़ पाए हैं। नगर निगम दूसरे क्षेत्रों के मकानों को भी सीवर लाइन से जोड़ने के लिए प्रयास कर रहा है।

तीन एसटीपी बनकर तैयार

बताया गया है कि शहर में सीवर के तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो गए हैं। कठौंदा में 32 एमएलडी, तेवर में 28 एमएलडी और ललपुर में 34 एमएलडी का प्लांट बनाया गया है। जल्द ही यहाँ पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

700 किमी लम्बी सीवर लाइन के लिए 1200 करोड़ की डीपीआर

नगर निगम ने शहर में 700 किमी लम्बी सीवर लाइन बिछाने के लिए अमृत योजना 2.0 के लिए 1200 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार की है। मेयर इन काउंसिल ने डीपीआर को स्वीकृति प्रदान कर दी है। डीपीआर को स्वीकृति के लिए राज्य सरकार के पास भेजा गया है। डीपीआर को स्वीकृति मिलते ही सीवर लाइन बिछाने का काम किया जाएगा।

कई जगह तो दफन हो गई सीवर लाइन

जानकारों का कहना है कि सीवर लाइन बिछाने का काम इतनी लापरवाही से किया गया है कि शहर के कई हिस्सों में सीवर लाइन दफन हो गई है। त्रिमूर्ति नगर, कृष्णा कॉलोनी, अम्बेडकर नगर, मनमोहन नगर आदि में तो आज भी अधूरे काम के कारण सड़कें खुदी पड़ी हैं। कई कॉलोनियों में हालत यह है कि सीवर लाइन के ऊपर से दो-दो बार सीमेंट कांक्रीट सड़क बन चुकी है। यहाँ पर सीवर लाइन को मकानों से जोड़ने के लिए एक बार फिर सीमेंट सड़क की खुदाई करनी होगी। इसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ेगा।

चैम्बर साफ करने खोदी जा रही सड़क

जानकारों के अनुसार काम पूरा होने से पहले ही जगह-जगह सीवर लाइन चोक होने लगी है। इसके कारण सीवर लाइन का पानी सड़क पर बहने लगा है। ऐसा ही मामला रांझी क्षेत्र में सामने आया है।

इसके बाद नगर निगम ने रांझी से लेकर गोकलपुर और शोभापुर ओवरब्रिज तक सीवर लाइन की सफाई का काम शुरू किया है। सीवर लाइन के चैम्बर खोलने के लिए सड़क को खोदा जा रहा है, लेकिन सड़क का रीस्टोरेशन नहीं किया जा रहा।

इसके कारण वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रांझी क्षेत्र में कई जगह सीवर लाइन चोक हो गई है और अब इसकी सफाई का काम किया जा रहा है। पूरा काम हुए बिना ही सीवर लाइन के चोक होने का वाकया देख लोग आश्चर्य चकित भी हो रहे हैं।

शहर में अभी तक 400 किमी लम्बी सीवर लाइन बिछाई जा चुकी है। सीवर लाइन से मकानों को जोड़ने का भी काम किया जा रहा है। प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 1200 करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार को भेजी गई है।

- कमलेश श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री, सीवर प्रोजेक्ट

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