जबलपुर: बुजुर्ग के सिर में 15 सेमी तक धंसा सरिया निकाला

  • मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में हुई सर्जरी
  • विभाग के चिकित्सकों ने जटिल सर्जरी कर रॉड को निकाला
  • 80 वर्षीय बुजुर्ग के साथ हुए हादसे ने चश्मदीदों के होश उड़ा दिए

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-27 09:37 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जाको राखे साइंयां मार सके न कोय.. यह कहावत एक बुजुर्ग के लिए हकीकत बन गई। 80 वर्षीय बुजुर्ग के साथ हुए हादसे ने चश्मदीदों के होश उड़ा दिए। बुजुर्ग अपने निर्माणाधीन घर पर गिर गए और इस हादसे में एक लोहे का सरिया उनके माथे में धंस गया।

नाक और मुँह से खून की धारा फूट पड़ी। जिसने भी इस दृश्य को देखा दहल गया। देर रात परिजन बुजुर्ग को लेकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज पहुँचे। जहाँ उन्हें ईएनटी विभाग में एडमिट किया गया। सोमवार की सुबह विभाग के चिकित्सकों ने जटिल सर्जरी कर रॉड को निकाल दिया। बुजुर्ग अभी खतरे से बाहर हैं।

यह है पूरा मामला- जानकारी के अनुसार तेंदूखेड़ा के देवरी थानांतर्गत 80 वर्षीय घनश्याम सोनी रविवार की शाम करीब 7 बजे निर्माणाधीन घर में गिर गए थे, जिसके चलते सरिया माथे के सामने बाईं ओर से धंस गया।

सरिया धंसने से बाईं आँख से दिखना बंद हो गया, हल्का ब्लड भी निकलने लगा। मुँह और नाक से भी खून बहने लगा। रविवार-सोमवार की दरमियानी रात करीब 3:30 बजे मेडिकल कॉलेज पहुँचे, जहाँ इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया। जाँचों के उपरांत ईएनटी विभाग में सर्जरी के लिए शिफ्ट किया गया।

55 सेमी का था सरिया- विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि सरिया मरीज के माथे से अंदर नाक और आँख के पीछे से होता हुआ मुँह तक पहुँच गया था। सीटी स्कैन कराया गया, जिससे यह पता चला कि सरिया किस स्थिति में है। इसके बाद सुबह 7 बजे मरीज को ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट कर सर्जरी की गई और रॉड निकाली गई।

ऑपरेशन के बाद आँख की रोशनी भी लौट रही है। मरीज अब ठीक है। रॉड करीब 55 सेमी लंबी थी, जिसका 15 सेमी का हिस्सा धंसा हुआ था। टीम में डाॅ. सचदेवा के साथ डॉ. अनिरुद्ध, डॉ. राशि, डॉ. दीक्षा, डॉ. दीपांकर शामिल रहे।

मुश्किल हो जाता जान बचाना-

डॉ. सचदेवा ने बताया कि सरिया अगर दिमाग में चला जाता तो स्पॉट डेथ हो सकती थी। वहीं अगर दिमाग में ब्लड ले जाने वाली वेसल्स को डैमेज कर देता तो खून का प्रवाह रुक जाता और लकवे की स्थिति बन जाती।

सरिया अगर 1 सेमी भी आगे पीछे होता तो आँख, नाक, कान या मुँह को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर सकता था, तब मरीज की जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता। आधे घंटे चली सर्जरी के बाद सावधानी पूर्वक सरिया को निकाल दिया गया।

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