जिंदगी की जंग लड़ रहे नकुल की मदद के लिए आगे आए लोग: नागपुर के निजी अस्पताल में चल रहा इलाज, ५ लाख के खर्च का एस्टीमेट
- जिंदगी की जंग लड़ रहे नकुल की मदद के लिए आगे आए लोग
- नागपुर के निजी अस्पताल में चल रहा इलाज
- लोगों के सहयोग से अब तक जमा हुए डेढ़ लाख
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल नकुल पाटनकर (१६) के इलाज के लिए लोगों ने हाथ बढ़ाए हैं। दरअसल नकुल के पिता की वर्ष २००९ में मृत्यु हो चुकी है, जबकि पिता की मौत के बाद मां भी छोडक़र कहीं चली गई। फ्लावर डेकोरेशन का काम कर वह अपनी दादी और बड़ी बहन की जिम्मेदारी उठा रहा था। हादसे के बाद ६ सिंतबर से नागपुर के निजी अस्पताल में नकुल का इलाज चल रहा है। सिर व नाक में चोट के चलते जिंदगी की जंग लड़ रहे नकुल के इलाज में आर्थिक तंगी बाधा बन रही है। अस्पताल प्रबंधन ने करीब ५ लाख रुपए का एस्टीमेट दिया है। नकुल के परिचित रम्मू लिखितकर ने उसके इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई। दैनिक भास्कर ने रम्मू की सूचना पर नकुल के हालातों से अवगत कराते हुए अपने ९ सितंबर के अंक में खबर प्रकाशित की। इसके बाद लोग मदद के लिए आगे आए। सोमवार और मंगलवार शाम तक करीब डेढ़ रुपए रम्मू के फोन पे नंबर पर पहुंच चुके थे, जबकि लिमिट पूरी होने पर बहुत से लोगों का ट्रांजेक्शन फेल हुआ। रम्मू ने अब दूसरे नंबर व अस्पताल का खाता नंबर शेयर किया है।
समाज सहित हर वर्ग के लोग मदद के लिए आगे आए:
सौंसर के लोणारी कुनबी समाज संगठन से जुड़े लोगों ने ५० हजार रुपए से ज्यादा की राशि नकुल के इलाज के लिए भेजी है। सौंसर के ही डॉक्टरों ने २५ हजार रुपए देने की पहल की है। रम्मू लिखितकर के मुताबिक छिंदवाड़ा शहर, परासिया, चौरई व अन्य क्षेत्रों से विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग भी मदद के लिए संपर्क कर रहे हैं। हालांकि एस्टीमेट के अनुसार अभी जरूरत पूरी नहीं हुई है।