छिंदवाड़ा: डोंगरदेव में बाघ का मूवमेंट, वन विभाग का अलर्ट, मेले की नहीं दी अनुमति
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/चौरई- शहर से तकरीबन १४ किलोमीटर दूरी पर स्थित डोंगरदेव मेला इस बार लगना मुश्किल है। जिस जगह पर वर्षों से डोंगरदेव मेला लगता है उसके आसपास के क्षेत्रों में बाघ-बाघिन के अलावा दो शावकों का मूवमेंट बना हुआ है। सुरक्षा की दृष्टि से पूर्व वनमंडल के अधिकारियों ने इस क्षेत्र में डोंगरदेव मेले को लगाने से मना कर दिया है और अनुमति नहीं दी है। वहीं डोंगरदेव के जंगलों में व्यापारी दुकान लगाने पर अड़े हैं। वन अमले के मुताबिक यहां बाघिन शावकों के साथ नजर आ रही हैं। इन शावकों को बाघिन ने यही जन्म दिया हैं ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में मेला लगाने की जिद कर रहे व्यापारियों को वन अमला वापस लौटा रहा हैं। गौरतलब है कि सांख के पास डोंगरदेव में हर साल कार्तिक पूर्णिमा में मेले का आयोजन किया जाता हैं। इस बार इस क्षेत्र में बाघों की लोकेशन के चलते वन अमले ने मेले के आयोजन को निरस्त कर दिया था। वन अमले के मुताबिक बाघों की लगातार मौजूदगी के कारण मेला इस बार भरवाना नामुमकिन हैं। यहां आने वाले व्यापारियों को अब रोजाना वन अमले वापस भेज रहा हैं।
शावकों के साथ दिखी बाघिन
ग्रामीण और वन अमले के मुताबिक यहां बाघिन और शावक को देखा जा रहा हैं। वन अमला भी बाघिन द्वारा शावकों को जन्म देने की बात कर रहा हैं। बाघिन और दो नन्हे शावक के पगमार्क मिल चुके हैं। ऐसे में वन अमले अलर्ट मोड पर हैं। इसके अलावा यहां बाघ की लोकेशन भी बनी हुई हैं। अधिकारी मेले की अनुमति देने से बच रहे हैं।
डोंगरदेव मेला,पत्थरों के बीच से निकलते हैं लोग
डोंगर देव मेले की अपनी परंपराएं हैं। यहां की मान्यताओं के मुताबिक मेले स्थल के पास भगवान शिव के मंदिर आसपास बड़ी बड़ी चट्टान हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके बीच से वही निकल पाता हैं जो पाप न करता हो। मान्यता के आधार पर यहां इन चट्टान के बीच से निकलने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
बेहतर पिकनिक स्पॉट हैं डोंगर देव, पहुंचते हजारो
डोंगर देव सांख से लगा हुआ हैं। यहां वन अमले का घना सागौन का जंगल हैं,वही पेंच नदी भी यहां से बहती हैं। बड़े बड़े पत्थर भी यहां मौजूद हैं। ऐसे में यहां की प्राकृतिक लोकेशन में बड़ी संख्या में लोग पिकिनिक मनाने पहुंचते हैं।
इनका कहना है
- जिस जगह पर मेला लगाया जाता है वहां पर बाघ का मूवमेंट बना हुआ है। ऐसी स्थिति में मेला लगाया जाना ठीक नहीं है इसके लिए हमने लिखित भी दे दिया है। मेले के लिए कुछ दूरी पर खाली जगह पर लगाया जाना उचित होगा। बाघिन के साथ दो शावक भी है।
- ब्रिजेन्द्र श्रीवास्तव, डीएफओ, पूर्व वनमंडल
- मेला स्थल के पास बाघों की लोकेशन हैं। जिसके कारण अधिकारियों ने अनुमति देने से इंकार कर दिया हैं। इस बार मेले का आयोजन नहीं हो पाएगा।
हीरालाल सनोडियां,रेंजर