छिंदवाड़ा: फेल होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी, नई प्रवेश संख्या बढ़ी तो बैठाना होगा मुश्किल
- फेल होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी
- नई प्रवेश संख्या बढ़ी तो बैठाना होगा मुश्किल
- हर साल १० प्रतिशत बढ़ रहे प्रवेश, सीमित स्टॉफ, क्लासरूम भी नहीं बढ़े
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। शहर के लीड कॉलेज और गल्र्स कॉलेज में क्षमता से ज्यादा स्टूडेंट्स पहले से ही हैं। इस बार फेल होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में १० से १५ प्रतिशत सीट बढ़ाकर नए स्टूडेंट्स को प्रवेश दिया गया तो बैठक व्यवस्था लडख़ड़ा जाएगी। जानकारी अनुसार दोनों जिलों में शासकीय, अनुदान प्राप्त व प्राइवेट कॉलेज मिलाकर ४८ कॉलेज संचालित हैं। इनमें ६० हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स अध्ययनरत हैं। शहर के लीड कॉलेज ऑटोनॉमस पीजी कॉलेज और गल्र्स कॉलेज में २२ हजार से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ रहे हैं। शहर के अलावा ग्रामीण अंचलों व आसपास के जिलों से भी स्टूडेंट्स इन दोनों कॉलेजों में दाखिला लेते हैं। शहर के दोनों सरकारी कॉलेजों में सीमित सीटों की वजह से प्रवेश के लिए लम्बी कतारें लगती हैं। इस बार फेल होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या भी ज्यादा है। ऐसे में १० प्रतिशत सीटें बढ़ी तो स्टूडेंट्स को बैठाना मुश्किल होगा।
फैक्ट फाइल
- १३ शासकीय कॉलेज
- ०४ अनुदानप्राप्त कॉलेज
- ३१ प्राइवेट कॉलेज
- ६० हजार से ज्यादा स्टूडेंट
क्षमता से ज्यादा स्टूडेंट
गल्र्स कॉलेज- ११,५०० स्टूडेंट
पीजी कॉलेज- ११,००० स्टूडेंट
(नोट: कॉलेजों से जुटाएं आंकड़े लगभग में)
पीजी कॉलेज की स्थिति
- १५ एकड़ से ज्यादा में स्थित है कॉलेज
- ८२ कमरों का है कॉलेज
- ४० कमरों में लगती है कक्षाएं
- ४२ कमरों में लैब, दफ्तर, विभागों का संचालन
- ६ हजार वर्गफीट की लाइब्रेरी यूनिवर्सिटी को दे दी।
- ८ से १० एकड़ में खेल मैदान, इंडोर ग्राउंड, पार्किंग है।
गल्र्स कॉलेज की स्थिति
- ३.५ एकड़ भूमि में स्थिति है कॉलेज
- ४० कमरों का है कॉलेज
- ३० कमरों में लगती है कक्षाएं
- १० कमरों में लैब, दफ्तर और हास्टल
- ६,००० वर्गफीट में बॉलीवॉल ग्राउंड
- ८,००० वर्गफीट में बास्केटवॉल ग्राउंड और पार्किंग
इनका कहना है
बैठक व्यवस्था को देखते हुए ही हम प्रवेश देने की व्यवस्था बना रहे हैं। छात्र हित में हम निर्णय लेंगे। स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ी तो हमें दो शिफ्ट में कॉलेज लगाना पड़ सकता है। जो भी परिस्थितियां निर्मित होंगी उनके मुताबिक छात्र हित में निर्णय लिया जाएगा।
डॉ लक्ष्मीचंद, प्राचार्य लीड कॉलेज
नए कक्षों का निर्माण अटका हुआ है। इस बार बैठक व्यवस्थाएं बनाना मुश्किल होगा। पहले से ही दो शिफ्ट में कॉलेज लग रहा है। शासन को मौजूदा हालातों से अवगत कराया जा रहा है। फिर शासन के निर्देश पर ही व्यवस्थाएं बनाएंगे।
डॉ अजरा ऐजाज, प्राचार्य गल्र्स कॉलेज