विधानसभा चुनाव के पहले सड़कों का बुरा हाल: खजरी ओवर ब्रिज पर गड्ढे, कायाकल्प की सड़कों की भी खुलने लगी कलई, एक बारिश भी नहीं झेल पा रही कायाकल्प योजना के तहत बनी सड़कें
- खजरी ओवर ब्रिज पर गड्ढे
- कायाकल्प की सड़कों की भी खुलने लगी कलई
- एक बारिश भी नहीं झेल पा रही सड़कें
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। तकरीबन तीन साल पहले बनकर तैयार हुए खजरी ओवरब्रिज की सडक़ गड्ढों में तब्दील होने लगी है। ये वीआईपी मार्ग का ओवरब्रिज है। जिसकी डिजाइन को लेकर पहले से ही निगम इंजीनियरों की इंजीनियरिंग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हर माह होने वाले हादसों की वजह से इसकी डिजाइन में डिफेक्ट बताया जा रहा है। अब तो सडक़ की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में हैं।
विधानसभा चुनाव के ऐन पहले शासन ने शहर की सडक़ों की सूरत सुधारने के लिए कायाकल्प योजना के तहत 15 करोड़ की सडक़ें सेंक्शन की थी। तकरीबन साढ़े सात करोड़ का काम हो चुका है, लेकिन बारिश आते ही ये सडक़ें डामर छोडऩे लगी है। मुख्य सडक़ों पर मौजूद बजरी बता रही है कि इन सडक़ों के निर्माण में ठेकेदार से लेकर निगम इंजीनियरों ने कितनी गंभीरता बरती है? योजना के तहत शहर की मुख्य सडक़ों का ही काम होना था। जिसके तहत शासन ने भरपूर पैसा दिया था। ठेकेदारों से गुणवत्ता और इंजीनियरों से कड़ी मॉनीटरिंग की आस थी जो इस साल हुई पहली बारिश में ही बह गई है। जबकि जिले में अभी औसत बारिश भी दर्ज नहीं हुई। शहर में बारिश का आंकड़ा तो और कम बता रहा है। इसके बाद भी आठ महीने पहले बनी सडक़ परत छोडऩे लगी है।
22 करोड़ आई थी ओवरब्रिज के निर्माण की लागत
खजरी मार्ग पर बने रेलवे ओवरब्रिज की लागत 22 लाख रुपए आई थी। जिसमें 11 लाख रुपए निगम और 11 लाख रुपए रेलवे ने दिए थे। डेडलाइन के बाद भी काम नहीं होने पर इस पर जमकर हंगामा हुआ। टेंडर नागपुर की निर्माण एजेंसी को दिया गया था, लेकिन लेटलतीफी के बाद भी निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं दिया। अब नतीजा सबके सामने आ है। तीन साल बाद ही ओवरब्रिज की सडक़ पर गड्ढे उभर आए हैं।
जुन्नारदेव और चौरई से पहले भी आ चुकी शिकायतें
कायाकल्प योजना केे तहत बनी सडक़ों की शिकायत पहले भी जुन्नारदेव और चौरई से सामने आ चुकी है। जुन्नारदेव में जांच हुई जबकि चौरई में कांग्रेस भाजपा आमने-सामने आ गए थे। अब छिंदवाड़ा में सामने आ रहे मामले के बाद कहा जा सकता है। चुनाव के पहले निर्माण में जल्दबाजी के चलते गुणवत्ता का ध्यान नहीं दिया गया। ठेकेदार को भुगतान बराबर हुआ, लेकिन अफसरों ने गुणवत्ता को साइडलाइन कर दिया।
इनका कहना है...
॥ चुनाव के पहले काम दिखाने के लिए जनता के पैसों का जमकर दुरुपयोग किया गया। अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ सांठगांठ करते हुए कायाकल्प योजना की सडक़ों का काम किया है। इसकी जांच होनी चाहिए और एजेंसी से लेकर अधिकारियों पर कार्रवाई होनीचाहिए।
-धर्मेंद्र सोनू मागो, अध्यक्ष, नगर निगम
॥ जिन सडक़ों का काम खराब हुआ है। उसकी समीक्षा करेंगें और जिस ठेकेदार ने सडक़ का काम लिया था। उससे पुन: निर्माण कार्य करवाया जाएगा। शहरवासियों की सुविधा के लिए बनी सडक़ से कोई समझौता नहीं होगा।
दिवाकर सदारंग, वरिष्ठ भाजपा नेता व पार्षद