दोबारा कॉल कर बुलाई एम्बुलेंस: मासूम को गोद में लेकर १०८ का इंतजार करती रही मां, पायलट ने कहा- मेंटेनेंस के लिए जा रही एम्बुलेंस, दो घंटे से अधिक इंतजार करना पड़ा

  • मासूम को गोद में लेकर १०८ का इंतजार करती रही मां
  • पायलट ने कहा- मेंटेनेंस के लिए जा रही एम्बुलेंस
  • दो घंटे से अधिक इंतजार करना पड़ा, दोबारा कॉल कर बुलाई एम्बुलेंस

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-01 08:02 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। सरकार ने कमजोर तबके, गर्भवती, प्रसूता और एक्सीडेंट में घायल लोगों को समय पर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके, इसके लिए १०८ एम्बुलेंस और जननी वाहन की सुविधा शुरू की है। लेकिन जरुरतमंदों को इसकी बेहतर सुविधा मिल पा रही है या नहीं, इसकी खोज खबर कोई नहीं ले रहा है। हालात यह हैं कि मरीजों को १०८ एम्बुलेंस और जननी वाहन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। बमुश्किल उन्हें एम्बुलेंस मिल पाती है।

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पहली घटना... शनिवार दोपहर को एक ऐसा ही मामला सामने आया। छिंदवाड़ा मुख्यालय से ७० किमी दूर सौंसर के तिनखेड़ी से अपने नवजात मासूम का चैकअप कराने भूमिका गायकवाड़ जिला अस्पताल आई थी। दोपहर लगभग १२.३० बजे उसे जननी वाहन से घर लौटना था। काफी मशक्कत के बाद जैसे-तैसे टोल फ्री नम्बर पर संपर्क हो सका। भोपाल से भूमिका के मोबाइल पर मैसेज आया कि उन्हें सीजी ०४ एनयू ७४३० एम्बुलेंस (जननी वाहन) से छोड़ा जाएगा। महिला के चंद कदमों की दूरी पर खड़ी इसी एम्बुलेंस का पायलट आया और कहा कि मुझे गाड़ी मेंटेनेंस के लिए लेकर जाना है। आप दोबारा १०८ पर कॉल कर दूसरी एम्बुलेंस बुला लें। दोबारा प्रक्रिया पूरी करने और गाड़ी आने तक लगभग दो घंटे भूमिका अपने मासूम बच्चे को गोद में लेकर सिविल सर्जन कार्यालय के बरामदे में बैठी रही। इस दौरान भूमिका की बुजुर्ग सास भी परेशान होती रही। यह नमूना है इमरजेंसी सुविधाओं का है।

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दूसरी घटना... रातभर एम्बुलेंस का इंतजार, दूसरे दिन मिली गाड़ी-

- यह घटना २७ अगस्त की रात की है। जब जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में जुन्नारदेव की २९ वर्षीय गर्भवती की हालत गंभीर थी। उसे चिकित्सकों ने जबलपुर हायर सेंटर रेफर किया था। पूरी रात महिला को १०८ एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिल सकी। आरएमओ डॉ. हर्षवर्धन कुड़ापे ने रात लगभग ११ बजे १०८ स्टाफ से संपर्क किया, लेकिन एम्बुलेंस व्यस्त होने का हवाला मिलता रहा। शहरी क्षेत्र में दो और तामिया व हर्रई में एक-एक एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस है। चार गाडिय़ां होने के बाद भी २८ अगस्त की सुबह ९ बजकर १५ मिनट पर गर्भवती को एम्बुलेंस मिल पाई। इस दौरान गर्भवती जीवन के लिए संघर्ष करती रही। इस मामले में संयुक्त कलेक्टर को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था।

तीसरी घटना... पांढुर्ना में स्कूल वेन, नहीं आई एम्बुलेंस-

पांढुर्ना में स्कूली बच्चों से भरी वेन तीगांव के समीप पलट गई थी। हादसे में छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को गंभीर चोट आई थी। कॉल करने के बाद भी घटनास्थल पर एम्बुलेंस नहीं आई। प्राइवेट वाहनों से बच्चों को अस्पताल पहुंचाया गया था। जबकि पांढुर्ना में दो १०८ एम्बुलेंस, दो जननी वाहन और एक विधायक निधि से मिली एम्बुलेंस है। इसके बाद भी समय पर मरीजों को इसकी सुविधा नहीं मिल रही है।

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डिस्ट्रिक मैनेजर का कहना, मेंटेंनेस भी जरुरी है-

इस मामले में १०८ एम्बुलेंस का संचालन करने वाली जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस के डिस्ट्रिक मैनेजर गजेन्द्र निमजे का कहना है कि एम्बुलेंस का मेंटेनेंस जरुरी है। इस वजह से पेशेंट को नहीं ले जाया गया। दूसरी घटना के लिए वे कहते है कि एम्बुलेंस व्यस्त थी। इस वजह से दूसरे दिन पेशेंट को जबलपुर छोड़ा गया।

अधिकारी भी मान रहे... १०८ एम्बुलेंस को लेकर दिक्कतें-

मरीज को १०८ एम्बुलेंस की सुविधा मिलने में दिक्कतें आ रही है। इसकी जानकारी हमें पहले भी मिली है। स्टेट कोऑडिनेटर से संपर्क कर व्यवस्था बनाने चर्चा की गई है।

- डॉ. एनके शास्त्री, सीएमएचओ

फैक्ट फाइल...

- १०८ एम्बुलेंस- २६

(बेसिक लाइफ सपोर्ट २२ और एड्वांस लाइफ सपोर्ट ०४)

- जननी वाहन- ३०

- पायलट- ११४

- ईएमटी- ५५

(जिलेभर में संचालित एम्बुलेंस सेवाएं)

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