एक ही गांव की छह बेटियों का एक मंडप में विवाह
अक्षय तृतीया पर आदिवासी समाज ने लगातार दूसरे साल किया सामूहिक विवाह का आयोजन
छिंदवाड़ा/परासिया. बेटियों के विवाह में होने वाले खर्च को कम करने के लिए केवलारी गांव के आदिवासी समाज के लोगों ने हर साल गांव की बेटियों का सामूहिक विवाह का निर्णय लिया। इसके तहत बीते साल गांव की सात बेटियों का विवाह किया। इस साल अक्षय तृतीया के अवसर पर एक ही मंडप के नीचे छह बेटियों के हाथ पीले किए। फिजूलखर्ची और विवाह के आयोजन में हो रहे दिखावे को खत्म करने की दिशा में हुए इस आयोजन की प्रशंसा हो रही है।
आदिवासी बाहुल्य तामिया विकासखंड के सीमावर्ती ग्राम पंचायत खापासानी के आश्रित गांव केवलारी में शुक्रवार को अलग-अलग गांवों से छह बारातें पहुंची। सभी दूल्हों और बारातियों की अगवानी एक ही साथ, एक ही स्थान पर हुई। उसके बाद दूल्हे के साथ बाराती निर्धारित कन्या पक्ष के मंडप पर पहुंचकर विवाह रस्म को पूर्ण किया गया। बारातियों के भोजन व्यवस्था भी समाज ने एक साथ, एक स्थान पर बनाई। यह दूसरा अवसर है जब ब्लाक तामिया के सीमावर्ती पंचायत खापासानी के गांव केवलारी में लगातार दूसरे वर्ष गांव के आदिवासी परिवारोंं ने अपनी बेटियों का एक साथ विवाह कराया। आदिवासी सगा समाज सेवा समिति केवलारी का यह आयोजन क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है।
केवलारी निवासी रविशंकर परतेती बताते हैं कि गांव की आबादी लगभग 8 सौ है। यहां लगभग 75 प्रतिशत आबादी आदिवासी परिवार की है। शादियों में होने वाले खर्च और कोरोना काल में बने हालात के बाद आदिवासी समाज ने फैसला किया कि गांव की बेटियों का विवाह एक साथ ही करेंगे। इसके लिए गांव में रहने वाले स्वजातीय बंधुओं को समझाइश दी गई। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले वर्ष गांव की 7 बेटियों की शादी के लिए विभिन्न क्षेत्रों से एकसाथ बारात आई।
इनका हुआ विवाह:
ज्योति संग हीरालाल चावलपानी, ज्योति संग हेमंत डोंगरगांव, गणेशिया संग छोटू ग्वारी गांव, मीरा संग दीपक हरकपुरा, प्रियंका संग झनकलाल बम्हनी और कविता संग नेसलाल सर्रापानी।