छिंदवाड़ा: जिला अस्पताल में सक्रिय एजेंट, मौत का खौफ दिखाकर निजी अस्पतालों में करा रहे शिफ्ट

  • जिला अस्पताल में सक्रिय एजेंट, मौत का खौफ दिखाकर निजी अस्पतालों में करा रहे शिफ्ट
  • एम्बुलेंस चालक कमीशन के लिए बने एजेंट
  • मरीज लाने पर दस प्रतिशत तक मिलता है कमीशन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-21 05:31 GMT

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में निजी अस्पतालों के एजेंट सक्रिय है। इनमें निजी एम्बुलेंस चालक बड़े दलाल है। एम्बुलेंस चालक जिला अस्पताल में बेहतर इलाज न मिलने का हवाला देकर मरीजों के परिजनों को अपने झांसे में लेते है और मरीज की मौत का खौफ दिखाकर निजी अस्पतालों में शिफ्ट कराने मजबूर कर देते है। पहले से मानसिक तनाव से जूझ रहे परिजन इन कमीशनखोरों के बहकावे में आसानी से आ जाते है।

निजी अस्पतालों से एक मरीज लाने पर दलाल को एक हजार रुपए से लेकर बिल पर दस प्रतिशत तक कमीशन मिलता है। यह गोरखधंधा खासकर रात के वक्त होता है। रात में अस्पताल आने वाले मरीजों के परिजनों को इमरजेंसी में डॉक्टर न होने का हवाला दिया जाता है। जिला अस्पताल में मरीज की जान का खतरा बताकर निजी अस्पताल जाने दबाव बनाया जाता है।

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मरीज के परिजनों को ऐसे घेरते है एजेंट -

इस गोरखधंधे में निजी एम्बुलेंस चालक से लेकर कई आवारा तत्व लिप्त है। सरकारी एम्बुलेंस आते ही एजेंट सक्रिय हो जाते है। मरीज और उनके परिजनों को उनका हितैषी बताकर ओपीडी पर्ची कटाने से लेकर प्राथमिक इलाज तक सामने खड़े होकर कराते है। इसके बाद वे परिजनों को मरीज की मौत का खौफ दिखाकर घेरना शुरू करते है।

नि:शुल्क इलाज का झांसा देकर फंसाते है-

एजेंट आयुष्मान कार्ड के माध्यम से नि:शुल्क इलाज का हवाला देकर मरीजों को निजी अस्पतालों मेंं शिफ्ट कराते है। दरअसल घायल या गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीज को आयुष्मान योजना के तहत नि:शुल्क इलाज मिलता है, लेकिन मरीजों को दवा का बिल चुकाना होता है। मरीजों के इलाज के एवज में शासन से निजी अस्पतालों को पेमेंट मिल जाता है।

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क्या कहते हैं अधिकारी-

निजी एम्बुलेंस चालक या कोई भी व्यक्ति मरीजों को निजी अस्पताल जाने बाध्य नहीं कर सकता। निजी अस्पताल में जाने कोई दबाव बनाता है तो पीडि़त शिकायत कर सकते है। संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ.एमके सोनिया, सीएस, जिला अस्पताल

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