छिंदवाड़ा: ११ माह में प्रसव के दौरान १० प्रसूताओं और ३५९ नवजातों ने तोड़ा दम
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में बीते जनवरी से नवम्बर माह में डिलेवरी के दौरान १० गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई। वहीं जन्म के दौरान ३५९ नवजातों ने दम तोड़ दिया। इस बीच राहत की बात यह रही, कि गायनिक यूनिट की विशेषज्ञ चिकित्सक और अनुभवी स्टाफ ने १० हजार ६०२ गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया हैं। मेडिकल कॉलेज से संबद्धता के बाद सिवनी, नरसिंहपुर और बैतूल से गंभीर अवस्था में गर्भवती महिलाओं को रेफर कर जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। छिंदवाड़ा के साथ अन्य जिलों से आने वाले पेशेंट की वजह से गायनिक वार्ड पर मरीजों का दबाव बढ़ गया है।
समस्या... वार्ड में क्षमता से दोगुने पेशेंट -
जिला अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में संचालित गायनिक वार्ड की क्षमता १२० बेड की है। नई बिल्डिंग में ३० बेड का एक अतिरिक्त वार्ड मिलने पर बेड की क्षमता १५० हो पाई है, लेकिन गायनिक वार्ड में रोजाना लगभग २०० गर्भवती महिलाएं भर्ती होती है। प्रबंधन द्वारा अतिरिक्त बेड लगाकर पेशेंट के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है।
हालात... गंभीर स्थिति में आती है गर्भवती-
स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की माने तो कई बार हाई बीपी, ब्लड की कमी, अधिक रक्तस्त्राव या अंदरूनी बीमारी से जूझ रही गर्भवती महिलाएं गंभीर अवस्था में अस्पताल आती है। ऐसे में पेशेंट की जान बचा पाना संभव नहीं हो पाता। दूसरी ओर कम वजन, प्री-मैच्योर डिलेवरी जैसी स्थितियों में नवजातों को बचाना मुश्किल होता है।
स्थिति... चार हजार गर्भवती रेफर होकर आई-
जिले के सरकारी प्रसव संस्थानों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होने से चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल रेफर कर देते है। जिले के अलग-अलग ब्लॉक के अलावा सिवनी, बालाघाट, नरसिंहपुर और बैतूल से बीते ११ माह में ४ हजार ०५२ गर्भवती महिलाओं को रेफर कर जिला अस्पताल भेजा गया।
जनवरी से नवम्बर माह के आंकड़े
माह डिलेवरी शिशुमृत्यु मातृमृत्यु
जनवरी ९८३ ३९ --
फरवरी ८८३ ३३ --
मार्च ९७७ २९ ०१
अप्रैल ८९५ ३२ ०३
मई ८३० २८ ०१
जून ९२५ २७ --
जुलाई १०८५ ३८ ०२
अगस्त १०५३ २७ ०१
सितम्बर १०३९ ३५ ०१
अक्टूबर १०१४ ३७ ०१
नवम्बर ९१९ ३६ --
क्या कहते हैं अधिकारी-
गायनिक के विशेषज्ञ चिकित्सक और अनुभवी स्टाफ हमेशा प्रयासरत रहती है कि गर्भवती का सुरक्षित प्रसव कराए। कई बार गर्भवती महिलाएं गंभीर हालत में अस्पताल आती है ऐसे में उन्हें बचा पाना संभव नहीं हो पाता।
- डॉ.एमके सोनिया, सीएस, जिला अस्पताल