मोर्चे में मोदी सरकार चले जाओ के लगे नारे, भंडारा में आदिवासी संगठन ने किया अर्धनग्न आंदोलन
- मणिपुर हिंसा पर विरोध प्रदर्शन
- भंडारा में आदिवासी संगठन ने किया अर्धनग्न आंदोलन
डिजिटल डेस्क, गोंदिया. शहर में 9 अगस्त को श्रमिक संगठन आयटक की ओर से कामगार, कर्मचारी, किसान, खेत मजदूर विरोधी मोदी सरकार चले जाओ के नारों के साथ अपनी विविध मांगों को लेकर मोर्चा निकाला गया। दोपहर 1 बजे नेहरू चौक से प्रारंभ हुए इस मोर्चे का नेतृत्व ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आयटक) के राज्य उपाध्यक्ष हौसलाल रहांगडाले, राज्य सचिव मिलिंद गणवीर, जिला सचिव रामचंद्र पाटील, राज्य कार्यकारिणी सदस्य शालू कुथे ने किया। आयटक की प्रमुख मांगों में 4 कामगार विराेधी कानून वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण बंद करने, बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने, सरकारी नौकरियों में भर्ती कर बेरोजगारों को रोजगार देने, ठेकेदारी पद्धति बंद करने, आंगनवाड़ी कर्मचारी, आशा प्रवर्तक, संविदा नर्सेस, शालेय पोषण आहार कर्मचारी एवं संविदा कर्मचारियों को नियमित करने, ग्राम पंचायतों को शतप्रतिशत वेतन देने, जिप की संविदा नर्सों को नियमित करने, वन जमीनों के पट्टे देने, किसानों के लिए स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने आदि मांगों का समावेश था। धरना प्रदर्शन के बाद एक प्रतिनिधि मंडल ने अपनी मांगों का निवेदन उपविभागीय अधिकारी को सौंपा।ं
मोर्चे में करुणा गणवीर, शकुंतला फटिंग, वर्षा पंचभाई, विनोद शहारे, विजय चौधरी, शेखर कनोजिया, प्रल्हाद उके, रविंद्र किटे, कल्पना डोंगरे, महेंद्र कटरे, ललिता राऊत, जीवनकला वैद्य, बबिता रहांगडाले, उषा बारमाटे सहित बड़ी संख्या में महिला, पुरुष कर्मचारी उपस्थित थे।
मणिपुर हिंसा : भंडारा में आदिवासी संगठन ने किया अर्धनग्न आंदोलन
उधर भंडारा में की अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद भंडारा द्वारा बुधवार 9 अगस्त को विरोध में आंदोलन किया। आदिवासी समाज पर हो रहे अत्याचार को रोककर पांचवें व छठवें अनुसूचित आदिवासी क्षेत्र का संरक्षण करने की मांग संगठन ने की। संगठन के पुरुष पदाधिकारियों ने अर्धनग्न आंदोलन कर शासन व प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया। मणिपुर राज्य में गत दो माह से हिंसा हो रही है।
इससे देख के नागरिक आहत है। इस बिच 4 मई को महिला के परिवार के सदस्यों की हत्या कर उनके साथ दुष्कर्म करने की घटना के विडियों से देश की जनता में रोष है। इंजडिजनस ट्रायबल लीडर्स फोरम के अनुसार मणिपुर में 700 से अधिक आदिवासी समूदाय है। मणिपुर में हो रही हिंसा से संपूर्ण नागरी समाज को धक्का पहुचा है। विविध संस्कृति से लिफ्त आदिवासी समाज हिंसा का शिकार हो रहा है। 9 अगस्त आदिवासी दिवस पर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद द्वारा निषेध आंदोलन निकालकर 150 से अधिक लोगों की हत्या व महिलाओं से हो रहे सामूहिक दुष्कर्म की घटना की निषेध किया गया। अत्याचारियों को फांसी की सजा देने की मांग की गई। इस आंदोलन का नेतृत्व संगठना के जिलाध्यक्ष विनोद वट्टी ने किया।