खोए हुए पैसे की वसूली का तरीका है कर्जदारों से समझौता : आरबीआई
इसमें आगे कहा गया है कि बैंकों को धोखाधड़ी या विलफुल डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के संबंध में एक समझौता समाधान में प्रवेश करने में सक्षम करने वाला प्रावधान एक नया नियामक निर्देश नहीं है और 15 से अधिक वर्षो के लिए निर्धारित नियामक रुख रहा है। 8 जून को आरबीआई ने समझौता निपटान और तकनीकी राइट-ऑफ के लिए रूपरेखा पर एक परिपत्र जारी किया है।
दंडात्मक उपायों को कमजोर करने पर केंद्रीय बैंक ने कहा कि 1 जुलाई, 2016 को धोखाधड़ी पर मास्टर दिशा-निर्देश और 1 जुलाई, 2015 को विलफुल डिफॉल्टर्स पर मास्टर सर्कुलर में उल्लेख किया गया है, यह अपरिवर्तित रहेगा। इन दंडात्मक उपायों में यह शामिल है कि किसी भी बैंक द्वारा विलफुल डिफॉल्टर्स के रूप में सूचीबद्ध उधारकर्ताओं को कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जानी चाहिए और ऐसी कंपनियों को उनके नाम को हटाए जाने की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए नए उद्यम शुरू करने के लिए संस्थागत वित्त से वंचित किया जा सकता है। आरबीआई ने कहा कि धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत कर्जदारों को धोखाधड़ी की राशि के पूर्ण भुगतान की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए बैंक वित्त मांगने से रोक दिया गया है।
--आईएएनएस
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