राइट ऑफ का मतलब ऋण माफी नहीं

सीतारमण राइट ऑफ का मतलब ऋण माफी नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2022-03-28 09:31 GMT
राइट ऑफ का मतलब ऋण माफी नहीं
हाईलाइट
  • पहली बार एनपीए पर कार्रवाई हो रही है

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में सोमवार को स्पष्ट किया कि ऋण को राइट ऑफ करने का मतलब कर्ज माफी नहीं है। वित्त मंत्री ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान श्रीपेरम्बदूर के सांसद टी आर बालू के सवाल का जवाब देते हुये कहा कि बैंक लेखा प्रक्रिया के तहत गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की बकाया राशि का जो प्रावधान करते हैं, उसी प्रक्रिया को राइटिंग ऑफ कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि लेकिन ऋण के राइट ऑफ करने पर भी डिफॉल्टर से वसूली के प्रयास किये जाते रहते हैं। उन्होंने बताया कि कई सरकारी बैंकों को ऐसे डिफॉल्टर की परिसंपत्ति और सिक्योरिटीज के जरिये ऋण राशि प्राप्त हुई है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान ऋण के एनपीए होने पर उसे छोड़े जाने के कई मामले हैं। ऐसे डिफॉल्टर से कभी भी ऋण की वसूली नहीं की गयी और बैंकों को उनकी रकम कभी नहीं मिलती थी।

उन्होंने बताया कि पहली बार एनपीए पर कार्रवाई हो रही है। गौरतलब है कि ऋण माफी का निर्णय सरकार लेती है जबकि ऋण को राइट ऑफ करने का निर्णय बैंक का होता है। बैंक एनपीए या बैड लोन को बट्टा खाते में डालकर अपनी बैलेंस शीट को साफ रखते हैं। बैंक लेकिन इस राशि की वसूली का प्रयास करते रहते हैं।

आईएएनएस

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