गुरुग्राम में स्पाइसजेट के एमडी अजय सिंह समेत अन्य पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज
धोखाधड़ी गुरुग्राम में स्पाइसजेट के एमडी अजय सिंह समेत अन्य पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज
डिजिटल डेस्क, गुरुग्राम। स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह और अन्य के खिलाफ फर्जी शेयर प्रमाणपत्र देकर गुरुग्राम निवासी को कथित तौर पर ठगने का मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता अमित अरोड़ा, निवासी मैगनोलियास, गोल्फ लिंक्स, गोल्फ कोर्स रोड, गुरुग्राम ने अपनी पुलिस शिकायत में कहा है कि सिंह ने उन्हें प्रदान की गई सेवाओं के लिए 10 लाख शेयरों की एक नकली डिपॉजिटरी निर्देश पर्ची (डीआईएस) दी थी।
घटना के संबंध में 7 जुलाई को सुशांत लोक पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता हवाईअड्डा खुदरा और आतिथ्य सेवाओं सहित गैर-वैमानिकी सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में है।
अरोड़ा ने पुलिस को बताया कि 2015 में स्पाइसजेट के पूर्व प्रमोटरों कलानिधि मारन और काल एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड ने आरोपी अजय सिंह के साथ एक शेयर बिक्री और खरीद समझौता किया, जिसमें उनकी पूरी हिस्सेदारी उसे हस्तांतरित कर दी गई।
अरोड़ा ने पुलिस को बताया, सिंह ने मुझे कंपनी को संभालने के लिए कहा, क्योंकि यह विभिन्न तेल कंपनियों के साथ ईंधन शुल्क, लंबित वैधानिक बकाया, हवाई बेड़े के पार्किं ग शुल्क, वेतन और अन्य भुगतान के मामले में गंभीर वित्तीय संकट में घिरा था। कंपनी को एक पूर्ण ओवरहॉल और वित्तीय पुनर्गठन की जरूरत थी।
सिंह ने शिकायतकर्ता से 10,00,000 शेयर हस्तांतरित करने का वादा किया था। इसके बाद, शिकायतकर्ता ने नेकनीयती से काम किया और अपनी सेवाएं दीं। अक्टूबर 2016 में शिकायतकर्ता ने सिंह से अपने वादे के अनुसार शेयरों को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया।
सिंह ने शेयरों को स्थानांतरित करने के बजाय एक डीआईएस प्रदान किया। सिंह ने अपने डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट, ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड के पास ऐसी पर्ची जमा करने का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, जब शिकायतकर्ता का प्रतिनिधि पर्ची जमा करने गया, तो उसे बताया गया कि यह अवैध और पुरानी है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने कई बार आरोपी से संपर्क किया और नए डिपॉजिटरी इंस्ट्रक्शन स्लिप लेने के लिए व्यक्तिगत मुलाकात की मांग की।
शिकायतकर्ता ने कहा कि अजय सिंह ने किसी न किसी बहाने नियुक्ति से इनकार कर दिया। उन्होंने आगे आश्वासन दिया कि शिकायतकर्ता को चिंतित नहीं होना चाहिए और जल्द ही वह नए डिपॉजिटरी निर्देश प्रदान करेंगे। स्टैंड में अचानक परिवर्तन, यह बताते हुए कि पर्चियां वैध थीं, नई पर्चियों के लिए प्रदान की जाएंगी, अकथनीय थी। 2017 के पूरे दौरान आरोपी अजय सिंह ने शिकायतकर्ता से मिलने से इनकार कर दिया।
इस दौरान अरोड़ा को सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी के दूसरे मामले का पता चला। दोनों के बीच समानता का पता लगाने के बाद शिकायतकर्ता ने सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच की और पाया कि यह उनके मामले जैसा ही था। शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि उसने अजय सिंह और स्पाइसजेट के पूर्व प्रमोटरों के बीच कथित रूप से लंबित मध्यस्थता कार्यवाही की जांच की।
शिकायतकर्ता को आगे इस बात से अवगत कराया गया है कि पूर्ववर्ती प्रमोटरों ने उक्त मध्यस्थ निर्णय के खिलाफ एक अपील दायर की थी जो इस समय दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है और इस तरह के निर्णय पर या शेयरों के हस्तांतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है। आरोपी ने शिकायतकर्ता को गलत तरीके से पेश किया है। आरोपी ने अवैध पर्ची देकर शिकायतकर्ता को धोखा दिया। उसने शिकायतकर्ता को उसके और पूर्ववर्ती प्रमोटरों के बीच लंबित मध्यस्थता कार्यवाही के बारे में भी गुमराह किया।
अरोड़ा ने पुलिस को बताया, अब शिकायतकर्ता के संज्ञान में आया है कि आरोपी ने अन्य व्यक्तियों को ठगने के लिए लगभग समान तरीके का इस्तेमाल किया और उन लेनदेन के संबंध में दिल्ली के पीएस ग्रेटर कैलाश, पीएस हौज खास और पीएस राजेंद्र नगर में आरोपी के खिलाफ पहले से ही अलग-अलग एफआईआर दर्ज हैं।
शिकायत में पुलिस से आग्रह किया गया है कि उसके साथ धोखाधड़ी की गई है और आरोपी अजय सिंह की कार्रवाई से गलत तरीके से नुकसान हुआ है। धोखाधड़ी का तरीका और इस प्रक्रिया में अन्य अपराधियों की पहचान के लिए एक विशेष एजेंसी द्वारा लगातार जांच की जरूरत होती है।
सुशांत लोक पुलिस स्टेशन के एसएचओ पूनम हुड्डा ने आईएएनएस को बताया, शिकायतकर्ता को दी गईं सेवाओं के लिए 10 लाख शेयरों के नकली डीआईएस देने से संबंधित धोखाधड़ी का मामला स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह और अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया है। हम मामले से संबंधित सभी संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं, जलद ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
(आईएएनएस)
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