डिजिटल लुटेरों से सावधान! जानिए कैसे अंजाम दिए जा रहे ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड, क्या है इनसे बचने का तरीका?
डिजिटल लुटेरों से सावधान! जानिए कैसे अंजाम दिए जा रहे ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड, क्या है इनसे बचने का तरीका?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ग्राहकों का खरीदारी का बदलता तौर-तरीका ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2024 तक ई-कॉमर्स रिटेल मार्केट 7 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा, जो साल 2010 में 7 हजार करोड़ रुपए से भी कम था। लेकिन तेजी से शॉपिंग के बदलते तौर-तरीकों ने ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड करने वालो की संख्या में भी तेजी से इजाफा किया है।
ऑनलाइन स्टोर क्रिएट करने की सुविधा देने वाली शॉपिफाई जैसी वेबसाइट्स के जरिए भी फ्रॉड्स को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड को किस तरह से अंजाम दिया जाता है और किन बातों को ध्यान में रखकर आप डिजिटल लुटेरों से बच सकते हैं:
जानिए क्या है टेक प्लेटफॉर्म शॉपिफाई?
कनाडा का टेक प्लेटफार्म शॉपिफाई के जरिए आप बिना किसी कोडिंग नॉलेज के अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट और अपना खुद का ऑनलाइन स्टोर तैयार कर सकते हैं। भारत समेत दुनिया के 175 से ज्यादा देशों में यह बहुत ही पॉपुलर और ट्रस्टेड प्लेटफॉर्म है। यहां आप उन सभी फीचर्स का उपयोग कर सकते हैं जो ऐक ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट में मिलते हैं। यहां आपको कोई वेब होस्टिंग नहीं खरीदनी होगी। इसका खुद का होस्टिंग सर्वर है जिसके आपको अलग से कोई पैसा भी नहीं देना है। आपको सिर्फ shopify का ऐक प्लान खरीदना होगा फिर आप अपने स्टोर को ऑनलाइन कर सकते हैं।
ड्रॉपशिपिंग बिजनेस
दूसरो के प्रोडक्ट भी इस वेबसाइट के जरिए बिकवा कर आप पैसे कमा सकते है। इसे अन्य भाषा में ड्रॉपशिपिंग बिजनेस कहा जाता है। डॉपशिपिंग बिजनेस का मतलब है कि आप अलग-अलग सप्लायर के प्रोडक्ट को ऐड करते हैं और उसके बाद उसकी मार्केटिंग। फिर जब कोई भी विजिटर आपके उस स्टोर से कोई भी सामान खरीदने के लिए ऑर्डर करें तो आप बस उस सामान के असली मालिक को इन्फॉर्म कर दें जिसके बाद वह सप्लायर खुद ही इस प्रोडक्ट को खरीदने वाले के पास पहुंचा देता है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चपत लगाने वालों की कमी नहीं
लेकिन इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चपत लगाने वालों की भी कोई कमी नहीं है। डिजिटल लुटेरे साइबर फ्रॉड करने के लिए आम लोगों पर साइकोलॉजिकल दबाव बनाते हैं। जिसमे कई बार फ्रॉडस्टर क्लीयरेंस सेल बताकर आपको हेवी डिसकाउंट का लालच देता है। प्रोडक्ट्स को इतने कम दाम में बेचने का दावा किया जाता है जो किसी और ऑनलाइन वेबसाइट या बाजार में मिलना संभव ही नहीं है। यदि आप एक बार उनके प्रलोभन में आए तो आपका नुकसान होना तय है।
लगभग 21% शॉपिफाई स्टोर अपने ग्राहकों के लिए खतरा
ई-कॉमर्स ऑथेंटिकेशन सर्विस फेकस्पॉट की एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 21% शॉपिफाई स्टोर अपने ग्राहकों के लिए खतरा पैदा करते हैं। फेकस्पॉट ने 124,000 शॉपिफाई स्टोर के अपने एनालिसिस में पाया कि इनमें से लगभग 26,000 स्टोर फ्रॉडुलेंट प्रैक्टिस से जुड़े हैं। उनमें से, लगभग 39% को "प्रॉबलमेटिक सेलर्स" के रूप में वर्णित किया गया। करीब 28% स्टोर को प्राइवेसी लीक और संदेह पैदा करने वाली बेहद चीप लिस्टिंग के चलते पॉसिबल स्कैम स्टोर माना गया। इसके अलावा भी और भी कई तरीके है जिसके जरिए ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है। जैसे ई-मेल या पॉप-अप के जरिए।
कैसे बचे ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड से?
यदि आपको ऑनलाइन साइबर फ्रॉड से बचना है तो ध्यान रखें कि जब भी ऑनलाइन शॉपिंग करें तो विश्वसनीय वेबसाइट या ऐप से ही खरीदारी करें। ऐसा करने से आपका डाटा सुरक्षित रहता है और आप साइबर फ्रॉड से बच सकते हैं। दूसरी बात यदि आपके पास कोई अनचाहा मेल, मैसेज या कॉल आए तो आप अपना एटीएम नंबर, ओटीपी, सीवीवी, आधार नंबर और बैंक अकाउंट का नंबर कतई साझा न करें। यदि आपने इन में से किसी चीज को शेयर किया तो आप साइबर ठगी के शिकार हो सकते हैं।
ई-कॉमर्स फ्रॉड को लेकर सरकार भी सचेत
भारत सरकार ई-कॉर्मस की खामियों को दुरुस्त करने के लिए तमाम तरह के कदम उठा रही है। ताकी आने वाले समय में ये बाजार लोगों की जीवन-शैली को आसान बनाए। इसी को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने 20 जुलाई, 2020 से पूरे देश में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 लागू किया था। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019 ग्राहक को उन कंपनियों से भी लड़ने की ताकत देता है, जो पहले के उपभोक्ता कानून में नहीं था। उपभोक्ता अधिनियम 1986 में अगर सामान में कोई दिक्कत आ