स्वदेशी तकनीक के लिए आर एंड डी को बढ़ावा देने की जरूरत : कांत

स्वदेशी तकनीक के लिए आर एंड डी को बढ़ावा देने की जरूरत : कांत

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-05 18:30 GMT
स्वदेशी तकनीक के लिए आर एंड डी को बढ़ावा देने की जरूरत : कांत
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  • स्वदेशी तकनीक के लिए आर एंड डी को बढ़ावा देने की जरूरत : कांत

नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्र के थिंकटैंक नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का मानना है कि ऑटो उद्योग को स्वदेशी तकनीक के लिए अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा दिए जाने जरूरत है।

कांत ने वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के संघ (एक्मा) की शनिवार को हुई 60वीं वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस वर्चुअल (ऑनलाइन) बैठक इस दौरान उन्होंने कहा कि इस कदम से आयात को कम करने में देश को मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, बिजली इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्रों में आईटी उद्योग के साथ नए तालमेल की भी जरूरत है।

कांत ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए सभी घटकों (कंपोनेंट) के उत्पादन पर जोर देते हुए कहा कि इससे भारत भविष्य के वैश्विक नेता की राह पर चल सकता है।

कांत के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी की कीमतें 100 डॉलर से नीचे जाने के लिए इस क्षेत्र में स्वदेशी ईवी को स्थानीय बनाने का एक बड़ा अवसर है।

उन्होंने कहा, भविष्य के पाठ्यक्रम में स्थानीय विनिर्माण और टियर-1, टियर-2 और टियर-3 आपूर्तिकर्ताओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, क्योंकि हम मानते हैं कि भारत में सभी संसाधन और क्षमताएं उपलब्ध हैं।

सत्र के अपने संबोधन में, कांत ने कहा कि ऑटोमोबाइल और कंपोनेंट मैन्युफैक्च रिंग के मामले में भारत की रिकवरी देखी जा रही है।

उन्होंने कहा, हमें भारतीय कंपनियों को उत्कृष्ट बनाना चाहिए, बड़े घरेलू बाजार पर कब्जा करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ने के (स्प्रिंगबोर्ड) तौर पर इसका उपयोग करना चाहिए।

कांत ने कहा, टियर-1 ऑटो कंपोनेंट आपूर्तिकर्ताओं में स्थानीयकरण का स्तर 20-30 प्रतिशत बना हुआ है।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि सबसे बड़े रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक होने के नाते, ऑटो कंपोनेंट क्षेत्र ऑटो सेक्टर में कुल कार्यबल का 72 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा, ऐसी क्षमता के साथ, हम मानते हैं कि ईवी जैसी नई प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ कंपोनेंट क्षेत्र में और अधिक नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।

एकेके/एसजीके

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