जीवाश्म ईंधन ने भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर में 20 फीसदी का योगदान दिया
योगदान जीवाश्म ईंधन ने भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर में 20 फीसदी का योगदान दिया
- जीवाश्म ईंधन ने भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर में 20 फीसदी का योगदान दिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जीवाश्म ईंधन से संबंधित वस्तुओं- परिवहन और घरेलू ऊर्जा ने अप्रैल और मई 2022 के बीच भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान दिया है। कैंब्रिज इकोनोमेट्रिक्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। उस समय, भारत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर (सीपीआई) सात से आठ प्रतिशत के बीच थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी 2021 और अगस्त 2022 के बीच, ईंधन और बिजली की कीमतें भारत में कुल उपभोक्ता कीमतों (12 प्रतिशत) की तुलना में लगभग पांच गुना तेजी से (57 प्रतिशत) बढ़ीं। यह उपभोक्ता खर्च में परिलक्षित हुआ था।
उदाहरण के लिए, दिल्ली क्षेत्र में परिवारों ने पिछले वर्ष की तुलना में 2022 में ईंधन और बिजली पर 25 प्रतिशत अधिक खर्च किए जाने का अनुमान लगाया है, और यह 2020 की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक लगभग 4,100 रुपये है।
ग्रामीण परिवारों के लिए यह उनकी आय के अनुपात के रूप में ऊर्जा पर उनके उच्च खर्च को देखते हुए और भी स्पष्ट था। यह इस तथ्य के बावजूद है कि भारत सरकार ने वैश्विक जीवाश्म ईंधन मूल्य वृद्धि के पूर्ण प्रभाव से घरों को बचाने के लिए सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 0.5 प्रतिशत के बराबर बजट रखा है। हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित जी20 एनर्जी ट्रांजिशन वर्किं ग ग्रुप की चर्चा अगले 15-20 वर्षो तक जीवाश्म ईंधन के निरंतर उपयोग पर संपन्न हुई।
रिपोर्ट के प्रमुख लेखक कार्ल हेनमैन ने कहा, नवीकरणीय ऊर्जा की लागत पिछले एक दशक में तेजी से गिर रही है। अब यह एक सर्वविदित तथ्य है कि जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा अब बहुत सस्ती है। वास्तव में, भारत इसके लिए दुनिया के सबसे सस्ते स्थानों में से एक है। नई नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं और इन लागतों में केवल और गिरावट आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा का एक बढ़ा हिस्सा भी आरबीआई के अनुसार थोक कीमतों में गिरावट का परिणाम है।
इससे भारत में नीति निमार्ताओं को नवीकरणीय ऊर्जा पर खर्च बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह देश को संकट में डालने के बजाय बिजली उत्पादन के मामले में मुख्य आधार बन जाए। महंगी ऊर्जा, अनिवार्य रूप से मुद्रास्फीति बढ़ाएगी।
सोर्सः आईएएनएस
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