एविएशन इंडस्ट्री को 2021-22 में 11,658 करोड़ रुपए का नुकसान

उड्डयन मंत्रालय एविएशन इंडस्ट्री को 2021-22 में 11,658 करोड़ रुपए का नुकसान

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-22 09:30 GMT
एविएशन इंडस्ट्री को 2021-22 में 11,658 करोड़ रुपए का नुकसान
हाईलाइट
  • एविएशन इंडस्ट्री को 2021-22 में 11
  • 658 करोड़ रुपए का नुकसान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि देश के विमानन उद्योग को 2021-22 में 11,658 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 4,770 करोड़ रुपये; वित्त वर्ष 2020-21 12,479 करोड़ रुपये; और वित्त वर्ष 2021-22 11,658 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उद्योग को नुकसान मुख्य रूप से दुनिया भर में कोविड-प्रेरित व्यवधान, उच्च परिचालन लागत, एटीएफ कीमतों में वृद्धि के कारण हुआ।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को एक लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि एयरलाइंस लागत में बढ़ोतरी का पूरा असर यात्रियों पर नहीं डाल पा रही हैं।

उत्तर में कहा गया है कि उद्योग को लाभ/हानि का वास्तविक आंकड़ा तभी पता चलेगा जब वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में ऑडिटेड खाते उपलब्ध होंगे। एयरलाइंस और प्रमुख हवाई अड्डे निजी क्षेत्र द्वारा संचालित किए जाते हैं और वे लागत कम करने और लाभप्रदता के लिए अपने स्वयं के एसओपी विकसित करते हैं। हालांकि सरकार ने एयरलाइंस की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं। उत्तर में कहा गया है कि उड़ान योजना विमानन उद्योग के लिए गेम चेंजर है।

गौरतलब है कि उड़ान योजना या उड़े देश का आम नागरिक, एक क्षेत्रीय संपर्क योजना है जो आम जनता के लिए हवाई यात्रा को सुलभ और वहन करने योग्य बनाना चाहती है। सिंधिया ने कहा कि वीजीएफ (वायबल गैप फंडिंग) के रूप में बढ़ी हुई वित्तीय सहायता, ईंधन दरों पर रियायत, लैंडिंग/पाकिर्ंग शुल्क और सेवा में नहीं आने वाले हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे के विकास ने न केवल विशाल एयरलाइन कंपनियों के संचालन को बढ़ावा दिया है बल्कि नेतृत्व भी किया है।

स्टार एयर और इंडियावन एयर और फ्लाईबिग जैसी क्षेत्रीय स्टार्ट-अप एयरलाइनों की भागीदारी के लिए जो असाधारण रूप से अच्छी तरह से काम कर रही हैं। सरकार द्वारा किए गए अन्य उपायों में एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर वैट में कमी शामिल है, जिसे एटीएफ पर उच्च वैट लगाने वाली राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के साथ लिया गया था। परिणामस्वरूप 16 राज्यों ने वैट को 1-4 प्रतिशत की सीमा में कम कर दिया है।

सोर्सः आईएएनएस

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