अजब-गजब: बहुत अजीबोगरीब परंपरा का पालन करती है अफ्रीका की ये जनजाति, नहाने से करते हैं तौबा, खाने के साथ परोसी जाती हैं घर की महिलाएं

  • बेहद अजीब परंपरा का निर्वहन करती है ये जनजाति
  • अफ्रीका के नमीबिया में करती है निवास
  • 50 हजार के करीब है लोगों की आबादी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-24 17:02 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। समय के साथ दुनिया बहुत एडवांस हो गई है। लोग अब पहले के मुकाबले ज्यादा सभ्य हो गए हैं। लेकिन दुनिया में अभी भी कई ऐसी जनजातियां मौजूद हैं जो अपनी हजारों साल पुरानी परंपराओं का पालन अभी भी कर रहे हैं। यह आज भी ऐसे कड़े नियम कानूनों का पालन कर रहे हैं जिन्हें देखकर लोगों की रूह कांप जाती है। पर असलियत यह है कि इन्होंने अपने पूर्वजों के द्वारा बनाए गए नियमों का अभी भी बड़ी कड़ाई के साथ पालन किया है। बदलते समय के साथ इन जनजाति ने अपनी प्राचीन परंपराओं को बचाए रखा है।

अफ्रीकी देश नमीबिया में रहते हैं ये जनजाति

ये जनजाति है अफ्रीका की हिम्बा प्राजाति जो कि नमीबिया देश में रहती है। वर्तमान में इस जनजाति के 50 हजार लोग मौजूद हैं जो कि आज भी ऐसे नियमों का पालन कर रहे हैं जिन्हें जानकर आप चौंक जाएंगे। इस जनजाति के सख्त नियमों मे से सबसे खास नियम है नहाने की सख्त मनाही है। इसके अलावा इस जनजाति में बाहर से आने वाले मेहमानों को खाने के साथ-साथ घर की महिलाएं परोसी जाती हैं।

हिम्बा जनजाति के स्वयं के नियम-कानून हैं। हालांकि बाकी जनजातियों के जैसे ही इस जनजाति के कुछ-कुछ नियम कानून समान ही हैं। जैसे इस जनजाति के लोग भी अपना पूरा दिन खाने की तलाश में बिताते हैं। इसके अलावा अपने साथियों के घर को बनाने में मदद करते हैं। लेकिन इनके कुछ ऐसे नियम हैं जो इन्हें अन्य जनजातियों से अलग बना देते हैं। जैसे कि इस जनजाति में नहाने की मनाही है। पानी से नहाने की बजाए ये लोग धुंए से नहाते हैं जिसे स्मोक बाथिंग कहते हैं।

इसके अलावा इस जनजाति में एक बेहद अजीब प्रथा भी है। जिस तरह घर आए मेहमानों को चाय-नाश्ता और खाना ऑफर किया जाता है, उसी प्रकार इस जनजाति के लोग अपने घर आए मेहमानों को महिलाएं परोसते हैं। मेहमानों के लिए घर में अलग कमरा होता है। इस कमरे में घर का मुखिया खुद अपनी पत्नी को मेहमान के पास भेजता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि जिससे वह रिश्ते में जलन की भावना को कम कर सके। इस जनजाति के लोग खेती और पशुपालन के जरिए जीविकोपार्जन करते हैं। इसके अलावा इस जनजाति में महिलाओं की नहीं बल्कि पुरूषों की चलती है। 

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