सालों से टंकियों में पड़े है शव, लाशों को दोबारा जिंदा करने पर चल रहा है एक्सपेरिमेंट

अजब-गजब सालों से टंकियों में पड़े है शव, लाशों को दोबारा जिंदा करने पर चल रहा है एक्सपेरिमेंट

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-21 10:34 GMT
सालों से टंकियों में पड़े है शव, लाशों को दोबारा जिंदा करने पर चल रहा है एक्सपेरिमेंट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के लैब्स में कई सालों से लाशें बंद हैं। अब इन लैब्स में लाशों को दोबारा ज़िंदा करने का एक्सपेरिमेंट चल रहा है जिसे लिविंग डेड एक्सपेरिमेंट का नाम दिया गया है। सब कुछ ऊपर वाले के हाथ में होता है। कई बार सोते इंसान की जान चले जाती है तो कई बार बड़े से बड़े हादसे से भी आदमी की जान बचा ली जाती है। इंसान का प्रकृति से टक्कर का खामियाजा भुगत चुका है। ऐसे में अमेरिका के एक लैब की कई तस्वीरें सामने आई है जिसके बारे में लिखा गया है कि यहां शवों को जिंदा करने का एक्सपेरिमेंट चल रहा है।

मेडिकल जगत ने समय के साथ काफी तरककी कर ली है और कई सारी नई तकनीकें भी आ चुकी है और वो भी ऐसी तकनीकें जिनके बारे में सोचा भी नही गया है। मेडिकल जगत ने इस कदर समय के साथ बदलाव आया है की आज जो तकनीक चर्चा में है उसमे मारे हुए आदमी को जिंदा किया जा सकता है। ये पढ़कर आपको ये मजाक लग रहा होगा मगर ये सच है की ऐसी तकनीक ढूंढी जा चुकी है।

अमेरिका में हो रहा है एक्सपेरिमेंट
जिंदा होने की उम्मीद में अमेरिका के एक लैब में कई लाशों को स्टोर करके रखा जा रहा है। एरिजोना में इस तकनीक को क्रायोनिक्स कहते है। कई बड़े लोग भी इस तकनीक में मानते है जिसके कारण उन्होंने अपनी डेड बॉडी को लैब में स्टोर करवा दिया। लैब को अच्छी खासी पेमेंट कर चुके ये बड़े लोगों को काफी उम्मीदें थी की वो इस तकनीक की मदद से वापस जिंदा हो पाएंगे।

कैसे काम करती है ये तकनीक
बात अगर क्रायोनिक्स की की जाए, ऐसे में डेड बॉडी को बेहद ठंडे तापमान पर रखा जाता है ताकि बॉडी को कोई नुकसान न हो। ऐसे में बात ये है की कभी तकनीक इतनी आगे बढ़ गई की मुर्दा को जिंदा करने लगी तो इन लाशों को फारस से निकाला जाएगा। उम्मीद यही की जा रही है की चालू किए गए एक्सपरमेंट को पूरा कर सके और इसी उम्मीद से लाशों को स्टोर किया जा रहा है।

एक्सपर्ट्स  का कहना है कि आज से 100 साल पहले चांद पर जाना नामुमकिन था पर आज नही है। ऐसे में किसी मारे हुए इंसान को वापस जिंदा करना गलत नहीं है। इसी उम्मीद से लाशों को लैब में स्टोर किया जा रहा है।

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