अजब-गजब, राजस्थान के नागौर में हुआ दुर्लभ कोलोडियन बच्चे का जन्म
अजब-गजब, राजस्थान के नागौर में हुआ दुर्लभ कोलोडियन बच्चे का जन्म
डिजिटल डेस्क,राजस्थान। देश-दुनिया में कब क्या अजीबों-गरीब हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। आज हम आपको राजस्थान में हुई एक ऐसी ही घटना के बारे में बता रहे हैं, जहां एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे ने जन्म लिया है। राजस्थान के नागौर जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय जवाहरलाल नेहरू हॉस्पिटल में कोलोडियन बीमारी से यह बच्चा पीड़ित बच्चा है। बीमारी के चलते बच्चे के हाथ और पैरों की अंगुलियां आपस में जुड़ी होने के साथ ही पूरे शरीर पर प्लास्टिक जैसी परत चढ़ी हुई है। यही वजह है कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को "प्लास्टिक बेबी" भी कहा जाता है। यह विश्व की दुर्लभतम बीमारियों में से एक है।
डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी 6 लाख बच्चों में से एक को होती है। इसमें टरमीटोसिस होता है, जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसमें धीरे-धीरे कई तरह की परेशानी बढ़ती जाती हैं। नागौर में जन्मा बच्चा अभी चिकित्सकों की निगरानी में है ।
जानकारी के मुताबिक नागौर जिले के भगवानदास गांव के रहने वाले सहदेव की पत्नी रमा ने पीड़ित बच्चे को जन्म दिया है । रमा का यह पांचवां बच्चा है। इसके पूर्व तीन बच्चों की मौत हो चुकी है और चौथा जीवित है। बच्चे की प्लास्टिक जैसी परत देख डॉक्टर भी हैरान रह गए थे। सहदेव ने बताया कि पत्नी को गॉयनिक समस्या होने पर प्रसव के लिए भर्ती कराया था। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि प्लास्टिक बेबी पैदा होगा । बच्चे का वजन 2.3 किलोग्राम है।
अमृतसर और अलवर में भी ऐसे बच्चों का हुआ था जन्म
साल 2014 और 2017 में अमृतसर में दो कोलोडियन बच्चों का जन्म हुआ था । दुर्भाग्यवश दोनों की चंद दिनों बाद ही मौत हो गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि शोध के मुताबिक कोलोडियन बेबी का जन्म जेनेटिक डिस ऑर्डर की वजह से होता है। ऐसे बच्चों की त्वचा में संक्रमण होता है। कोलोडियन बेबी का जन्म क्रोमोसोम में गड़बड़ी की वजह से होता है ।
आमतौर पर महिला और पुरुष में 23-23 क्रोमोसोम पाए जाते हैं। यदि दोनों के क्रोमोसोम संक्रमित हों तो पैदा होने वाला बच्चा कोलोडियन हो सकता है। इस रोग में बच्चे के पूरे शरीर पर प्लास्टिक की परत चढ़ जाती है। धीरे-धीरे यह परत फटने लगती है और असहनीय दर्द होता है और यदि संक्रमण बढ़ा तो उसका जीवन बचा पाना मुश्किल होता है। इससे पहले अलवर में भी एक ऐसा ही बच्चा पैदा हुआ था। बच्चों में यह बीमारी जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से होती है। दुनियाभर में छह लाख बच्चे के जन्म पर एक ऐसा बच्चा पैदा होता है। डॉ. मूलाराम कड़ेला