नही करा पाए सोनोग्राफी, अस्पताल से वापस लौटते समय आदिवासी महिला ने हाइवे पर दिया बेटी को जन्म
डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा/पांढुर्ना. सरकारी अस्पताल में मुफ्त जांच सुविधाओं के दावे की हकीकत मंगलवार को उजागर हो गई जब एक आदिवासी महिला ने सडक़ पर बेटी को जन्म दिया। दरअसल अस्पताल में मौजूद डाक्टरों ने गरीब महिला को निजी अस्पताल में सोनोग्राफी कराने का फरमान सुना दिया। आर्थिक रूप से कमजोर महिला के पति ने गांव लौटने का निर्णय लिया। गांव लौटते समय चिचखेड़ा पाटी के समीप नेशनल हाइवे पर महिला ने बेटी को जन्म दिया।
मिली जानकारी के अनुसार ग्राम बिछुआकलां (मारूड) निवासी संदीप टेकाम अपनी पत्नी कविता (25) को डिलीवरी कराने के लिए सिविल अस्पताल लेकर आया था। यहां डाक्टरों ने कविता की जांच कर सोनोग्राफी कराने की बात कही। सिविल अस्पताल में सोनोग्राफी की व्यवस्था नहीं होने से उसे तत्काल बाहर से सोनोग्राफी कराने की सलाह दी। कविता की प्रसव पीड़ा लगातार बढ़ रही थी। सोनोग्राफी के लिए पर्याप्त रकम नहीं होने पर संदीप उसकी पत्नी कविता को बाइक पर बैठाकर गांव लौटने लगा। चिचखेड़ा पाटी के समीप प्रसव पीड़ा तेज हो गई और कविता ने हाइवे पर ही नवजात को जन्म दे दिया। इस दौरान राहगीरों ने उनकी मदद की। कुछ लोगों ने सूचना देकर 108 एबुलेंस बुलाकर जच्चा-बच्चा को सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। बच्चे की हालत नाजुक होने पर जच्चा बच्चा दोनों को जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
भागोंपा ने जताया आक्रोश
इस मामले को लेकर भारतीय गोंडवाना पार्टी ने आक्रोश जताया है। भागोंपा के प्रदेश सचिव कृष्णकुमार बरडे ने सिविल अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब गर्भवती महिला की डिलेवरी का समय आ चुका था तो डाक्टरों ने उसे भर्ती क्यों नहीं किया। ऐसी स्थिति में महिला को अस्पताल में भर्ती कर सोनोग्राफी व अन्य जांच की व्यवस्था बनाई जानी चाहिए थी। बेबस गर्भवती महिला ने हाइवे पर बच्ची को जन्म दिया, इस मामले में अस्पताल प्रबंधन को जांच करनी चाहिए।
इनका कहना है...
महिला सामान्य जांच के लिए अस्पताल आई थी, उपचार परामर्श के बाद उसे घर रवाना किया गया। रास्ते में अचानक प्रसव पीड़ा बढ़ गई और उसने शिशु को जन्म दिया। शिशु का वजन बहुत कम है। इसलिए उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया है।
-डॉ. मिलिंद गजभिए, शिशु रोग विशेषज्ञ
Created On :   15 March 2023 3:37 PM IST