1256 ऑनलाइन शिकायतों को हल करना तो दूर किसी ने देखा तक नहीं

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भगवान भरोसे चल रहा कामकाज 1256 ऑनलाइन शिकायतों को हल करना तो दूर किसी ने देखा तक नहीं

अभय यादव , नागपुर।  शहर की आबादी 30 लाख के आस-पास है। इस आबादी में से कम से कम आधे लोगों के पास आज मोबाइल जरूर है। कुल आबादी में करीब एक तिहाई यानी 10 लाख से ज्यादा लोग मोबाइल के जरिए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते हैं। ऐसे में रोज होने वाले ऑनलाइन फ्रार्ड की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इसको सुलझाने के लिए नागपुर में जरूर साइबर थाना खोला गया है, मगर यह नाममात्र का ही साबित हो रहा है। क्योंकि न तो इनके पास ठीक से संसाधन हैं और न ही एक्सपर्ट। थाने में आने वाली शिकायतें ही हल नहीं हो रही हैं, ऐसे में ऑनलाइन आई 1256 शिकायतों का समाधान तो दूर उसे ठीक से देखा तक नहीं है। यानी आप साइबर थाने के भरोसे  बैठे हैं और थाना खुद भगवान भरोसे चल रहा है।

ऑनलाइन फ्रार्ड की शिकायत ऑन लाइन करने का मतलब ही नही
आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जब सभी सुविधाएं ऑनलाइन हो रही हैं। पुलिस ऑनलाइन शिकायत से लेकर कई तरह की जानकारियां घर बैठे लेने के दावे करती है। ऐसे में यदि आपके साथ ऑनलाइन फ्रॉर्ड होता है तो आप उसकी शिकायत ऑनलाइन करके निश्चिंत हो जाते हैं, इस भरोसे में कि कोई उसका समाधान कर रहा होगा। जबकि इसे देखने वाला तक नहीं है। हकीकत यह है कि ऑनलाइन फ्रॉर्ड की शिकायत लेकर जब थाने कोई जाता है तो उसे साइबर थाने और फिर वहां से थाने में शिकायत देने के लिए कहा जाता है। जब वह दोनों जगह चक्कर लगाकर थक जाता है तो अधिकांश मामले दर्ज करना तो दूर केवल आवेदन देकर रख लिए जाते हैं। इसके 3 बड़े कारण हैं-

1. आबादी के हिसाब से संख्या बल नहीं
2. कार्य क्षेत्र के अनुपात में वाहन नहीं
3. जांच के लिए जरूरी संसाधन नहीं।

मामलों की खाना-पूर्ति में ही जुटा है मात्र 25 लोगों का स्टॉफ : करीब 4 पहले बने नागपुर साइबर थाने में फिलहाल 25 से 30 लोग कार्यरत हैं। इनमें कार्यालयीन और फील्ड स्टाफ दोनों शामिल हैं। इस थाने में मात्र एक वाहन है, वह भी खटारा स्थिति में। रोज इस थाने में शिकायत लेकर कम से कम 7-8 लोग आते ही हैं। ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने वालों की संख्या 15-20 के आस-पास रोज होती है। यानी रोज करीब 25 से 30 नए मामले होते हैं। स्टॉफ किसी तरह मामले दर्ज करने की खाना पूर्ति में ही जुटा रहता है। पुराने मामलों का फॉलोअप लेना या हर एक तफ्तीश करने की बात तो भूल ही जाइए।

अंदर की 2 बड़ी बातें....
शहर के साइबर पुलिस थाना की यह कमजोरी ही कही जाएगी कि उनके पास न तो ऑनलाइन शिकायतें सुलझाने के लिए स्टाफ हैं और न तो दैनिक शिकायतों की जांच करने के लिए अधिकारी-कर्मचारी।
एनसीसीआरपी पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन शिकायतें तो पता चल जाती हैं, मगर शहर के किस थाने से कितनी शिकायतें साइबर थाने में भेजी गई, यह रिकार्ड भी फिलहाल साइबर पुलिस थाना नहीं रख पा रहा है।

शिकायतों को सुलझाने का प्रयास
पुलिस मिलने वाली हर शिकायत को सुलझाने का प्रयास करती है। जो शिकायतें थाना स्तर की होती हैं, उसे संबंधित थाने में भेज दी जाती हैं।
-अमित डोलस, पुलिस निरीक्षक, साइबर पुलिस थाना

इसलिए ऐसी स्थिति...5 प्वाइंट में समझें
उपराजधानी में साइबर अपराध की शिकायतें स्थानीय और साइबर पुलिस थाने में लगातार दर्ज हो रही हैं। इन शिकायतों को ही निपटाने में साइबर पुलिस इस कदर व्यस्त है कि उसे ऑनलाइन शिकायतों को देखने तक कि शायद फुर्सत नहीं मिल पा रही है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल) पर दर्ज मामले तो यही साबित कर रहे हैं। इस पोर्टल पर अकेले नागपुर में वर्ष 2022 से फरवरी 2023 के दरमियान आर्थिक अपराध से जुड़े 2902 और सोशल मीडिया से जुड़े 1256 मामलों की शिकायत की गई है। इसमें कितने मामले सुलझाए जा सके और कितने नहीं, इसका कोई भी रिकार्ड साइबर पुलिस थाना से नहीं मिल पाया। उनका कहना है कि ज्यादातर मामले पुरुष पीड़ित के सामने आ रहे हैं, जो महिलाओं द्वारा सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती करने के पश्चात उन्हें ब्लैकमेल करने से संबंधित है।

वर्ष 2022 में 1697 आर्थिक अपराध और फरवरी 2023 तक 205 सोशल मीडिया से जुडे मामले की ऑनलाइन शिकायतें हुईं। वर्ष 2022 में सोशल मीडिया से जुड़े 1125 और फरवरी 2023 तक 131 सोशल मीडिया से जुडे मामले की आन लाइन शिकायतें एनसीसीआरपी पोर्टल पर ऑनलाइन देखी जा सकती हैं। गत दो माह में ही राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग के पोर्टल (एनसीसीआरपी पोर्टल) पर आर्थिक अपराध से जुड़ीं 205 और सोशल मीडिया से जुड़ीं 131 शिकायतें ऑनलाइन की जा चुकी हैं।
 

Created On :   2 March 2023 10:47 AM IST

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