शहद उत्पादन तकनीक विषय पर बेविनार संपन्न शहद का उत्पादन लेने पर कृषक बनेंगे समृद्ध!

On the topic of honey production technology, farmers will become prosperous by taking production of rich honey.
शहद उत्पादन तकनीक विषय पर बेविनार संपन्न शहद का उत्पादन लेने पर कृषक बनेंगे समृद्ध!
शहद उत्पादन तकनीक शहद उत्पादन तकनीक विषय पर बेविनार संपन्न शहद का उत्पादन लेने पर कृषक बनेंगे समृद्ध!

डिजिटल डेस्क | रीवा शास.टी आर एस कॉलेज में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना के अन्तर्गत जहां चाह वहां राह श्रृंखला के तहत शहद उत्पादन तकनीक विषय पर वेबीनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी द्वारा की गई। विशिष्ट अतिथि डॉ. पंकज श्रीवास्तव अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अच्युत पाण्डेय संभागीय नोड्ल अधिकारी (रीवा संभाग) एस.व्ही.सी.जी.एस. थे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफ़ेसर अखिलेश शुक्ल द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. आर.पी चतुर्वेदी का विशेष सहयोग रहा है।

आभार प्रदर्शन ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट आफिसर डॉ. संजयशंकर मिश्र के द्वारा किया गया। डॉ. अच्युत पाण्डेय संभागीय नोडल अधिकारी, रीवा संभाग, स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना द्वारा कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया। प्राचार्य डॉ. अर्पिता अवस्थी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मधु, परागकण आदि की प्राप्ति के लिए मधुमक्खियाँ पाली जातीं हैं। यह एक कृषि उद्योग है। मधुमक्खियां फूलों के रस को शहद में बदल देती हैं और उन्हें छत्तों में जमा करती हैं। बाजार में शहद और इसके उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण मधुमक्खी पालन अब एक लाभदायक और आकर्षक उद्यम के रूप में स्थापित हो गया है।

विषय विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश कुमार कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र ने कहा कि मधुमक्खी पालन में कम समय, कम लागत और कम ढांचागत पूंजी निवेश की जरूरत होती है, कम उपज वाले खेत से भी शहद और मधुमक्खी के मोम का उत्पादन किया जा सकता है। मधुमक्खियां खेती के किसी अन्य उद्यम से कोई ढांचागत प्रतिस्पद्र्धा नहीं करती हैं, मधुमक्खी पालन का पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मधुमक्खियां कई फूलवाले पौधों के परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस तरह वे सूर्यमुखी और विभिन्न फलों की उत्पादन मात्रा बढ़ाने में सहायक होती हैं, शहद एक स्वादिष्ट और पोषक खाद्य पदार्थ है।

डॉ. अखिलेश ने बताया कि रीवा जिले में दो वर्षों से शहद के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होने मधुमक्खियों के जीवन चक्र, उनके पालने का तरीका, पालने हेतु आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों का विषद विश्लेषण प्रस्तुत किया। डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि मधुमक्खी पालन का पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मधुमक्खियां कई फूलवाले पौधों के परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस तरह वे सूर्यमुखी और विभिन्न फलों की उत्पादन मात्रा बढ़ाने में सहायक होती हैं। ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट आफीसर डॉ. संजय शंकर मिश्र ने कहा कि मधुमक्खियों को बक्सों में रख कर वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से शहद का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। मधुमक्खी पालन किसी एक व्यक्ति या समूह द्वारा शुरू किया जा सकता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. ओमप्रकाश शुक्ल, प्रो. विवेक शुक्ल, प्रो. के.के.तिवारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

Created On :   4 Sept 2021 4:28 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story