दवा खरीदी ‘महाराष्ट्र वैद्यकीय खरीदी प्राधिकरण’ के हवाले

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार ने 2017 में दवा, वैद्यकीय उपकरण आदि के खरीदी के सर्वाधिकार हाफकिन को दिए थे, लेकिन पांच वर्ष में खरीदी प्रक्रिया का क्रियान्वयन करने में हाफकिन फेल हुई है। इस कारण राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य, वैद्यकीय शिक्षण विभाग सहित महानगरपालिका, जिला परिषद की दवाईयां, वैद्यकीय उपकरण खरीदी में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने ‘महाराष्ट्र वैद्यकीय खरीदी प्राधिकरण’ गठन करने का निर्णय लिया है। बुधवार से क्रियान्वयन का आदेश जारी किया गया है। प्राधिकरण कार्यान्वित होने तक वैद्यकीय आयुक्त को खरीदी के अधिकार दिए हैं।
तमिलनाडु और राजस्थान राज्य में औषधि खरीदी महामंडल का अभ्यास कर उससे भी अधिक सक्षम प्राधिकरण गठन करने का यह निर्णय होने का दावा किया गया है। खरीदी प्रक्रिया में नियामक मंडल का समावेश होने से इस प्राधिकरण में एक आईएएस दर्जे का अधिकारी सीईओ रहेगा। प्राधिकरण के अध्यक्ष मुख्यमंत्री रहेंगे। इसके अलावा स्वास्थ्य सहसंचालक दर्जे का व्यवस्थापक, मुख्य लेखा व वित्त अधिकारी, मुख्य प्रशासकीय अधिकारी एेसे कुल 65 करोड़ रुपए खर्च सहित मान्यता दी गई है। हाफकिन में खरीदी करने की पर्याप्त क्षमता नहीं होने से खरीदी समय पर नहीं हो रही थी। अलग-अलग विभाग अथवा स्थानीय स्वराज्य संस्था एक प्रकार की दवाइयां, उपकरण अलग-अलग दरों पर खरीद रहे थे। अब इस खरीदी पर अंकुश लगेगा और सभी खरीदी एक खिड़की अंतर्गत होने का दावा सरकार ने किया है।
जिलास्तर पर दवा केंद्र : महाराष्ट्र वैद्यकीय खरीदी प्राधिकरण के कारण खरीदी जांच के लिए दक्षता अधिकारी नियुक्ति किए जाएंगे। सभी 36 जिलों और विभागीय स्तर पर दवा केंद्र बनाए जाएंगे। इस तरह का नियोजन किया जाएगा, ताकि संबंधित क्षेत्र के शासकीय अस्पतालों को तत्काल दवाइयां उपलब्ध हो सके। राज्य सरकार के विविध विभाग हर साल अनुमानित 20 से 25 हजार करोड़ की दवाइयां खरीदी करते हैं। इस प्राधिकरण के कारण सरकार की 20 से 30 प्रतिशत निधि की बचत होने का भी दावा किया गया है।
Created On :   2 March 2023 10:59 AM IST