कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच के तरीके पर जताई नाराजगी

Lalan Sheikhs death: Calcutta High Court expressed displeasure over the way CID investigation
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच के तरीके पर जताई नाराजगी
लालन शेख की मौत कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीआईडी जांच के तरीके पर जताई नाराजगी

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 21 मार्च को हुए बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की रहस्यमय मौत के मामले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के तरीके पर शुक्रवार को नाराजगी जताई।

सीआईडी लालन शेख की मौत की जांच कर रही है, जो 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई कार्यालय के शौचालय के शावर स्टैंड से लटका पाया गया था।

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सीआईडी ने अभी तक लालन शेख की पत्नी रेशमा बीवी का बयान दर्ज नहीं किया है, जिसकी प्राथमिकी के आधार पर सीआईडी ने जांच अपने हाथ में ली, यह देखते हुए कि उसने प्राथमिकी में सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे।

जब सुनवाई चल रही थी तब रेशमा बीवी अदालत में मौजूद थीं और उन्हें न्यायमूर्ति सेनगुप्ता के कई सवालों का सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनके द्वारा दिए गए विरोधाभासी जवाबों पर आश्चर्य व्यक्त किया। जब न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने उनसे पूछा कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किसने प्रदान किए, जिनका उन्होंने अपनी प्राथमिकी में उल्लेख किया है, तो रेशमा बीवी ने कहा कि उन्हें कुछ केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा नंबर दिए गए थे।

रेशमा बीवी ने इस बात की भी जानकारी से इनकार किया कि उनके लिए एफआईआर का बयान किसने लिखा था। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने पूछा, यह कैसे संभव है कि आप उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसने बयान लिखा है? क्या आपने इसे किसी अज्ञात व्यक्ति से लिखवाया है। रेशमा बीवी ने जवाब दिया, मैं उस समय पूरी तरह से टूट गई थी और बहुत रो रही थी। इसलिए किसी ने प्राथमिकी लिखने में मदद की।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने तब पूछा कि रेशमा बीवी का बयान इस तथ्य के बावजूद दर्ज क्यों नहीं किया गया कि उन्होंने सीबीआई के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जरूरत है कि प्राथमिकी में नामित सीबीआई अधिकारियों के मोबाइल नंबर किस स्रोत से मिले। उन्होंने सीआईडी में एक डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच की कमान संभालने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कहा कि सीआईडी को प्राथमिकी में नामित किसी भी सीबीआई अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने से रोकने का उनका पूर्व का आदेश जारी रहेगा। सीबीआई ने पहले ही प्राथमिकी को इस तथ्य के मद्देनजर राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है कि इसमें नामित केंद्रीय एजेंसी के कुछ अधिकारी पशु-तस्करी घोटाले की जांच कर रहे हैं, जिनका बोगतुई नरसंहार मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम से कोई संबंध नहीं था।

लालन शेख स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के नेता भादू शेख का जाना-पहचाना सहयोगी था, भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बीरभूम जिले के बोगतुई में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई घरों में आग लगा दी गई जिसके बाद 10 लोगों की मौत हो गई थी। लालन शेख बोगतुई हिंसा का मुख्य आरोपी था।

लालन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि लालन को सीबीआई हिरासत में मौत के घाट उतार दिया गया।

(आईएएनएस)

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Created On :   23 Dec 2022 7:00 PM IST

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