कूनो में 6 तेंदुए नहीं कर पाए भाग्यशाली बकरे का शिकार, अब होगा दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले चीतों से सामना 

6 leopards could not hunt lucky goat in Kuno, now they will face the worlds fastest running cheetahs
कूनो में 6 तेंदुए नहीं कर पाए भाग्यशाली बकरे का शिकार, अब होगा दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले चीतों से सामना 
कूनो में है किस्मती बकरा कूनो में 6 तेंदुए नहीं कर पाए भाग्यशाली बकरे का शिकार, अब होगा दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले चीतों से सामना 

डिजिटल डेस्क,भोपाल।  लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार नामीबिया से मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क में आठ चीते आ ही गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर इन सभी चीतों को पिजंरो से आजाद किया। लाए गए चीतों में पांच मादा और तीन नर हैं। चीतों के आने के पहले ही सरकार ने उनके शिकार की व्यवस्था कर दी है। लेकिन यहां पर चीतों के लिए एक ऐसा भी शिकार है जिसकी चर्चा क्षेत्र ही नहीं  बल्कि पूरे देश में हो रही है। जो अब तक यहां पर मौजूद तेंदुओं का कभी भी शिकार नहीं बन पाया। दरअसल, जिस शिकार की बात की जा रही है वह कोई और नहीं कूनो में हमेशा दिखाई देने वाला किस्मत वाला बकरा है।  


चीतों को भारत में लाने की खास वजह है इन प्रजातियों के चीते जो आज से 74 वर्ष पहले भारत से विलुप्त हो चुके थे। सरकार यह मान कर चल रही है कि चीतों के लाए जाने के बाद अब कूनों में चीतों की संख्या में धीरे-धीरे अवश्य बढ़ोतरी देखी जा सकेगी। लाए गए चीतों के भोजन के लिए कूनो नेशनल पार्क में चीतलों को पहले ही छोड़ा जा चुका है। लेकिन चीतलों के बीच एक बकरा चर्चा का केंद्र बना हुआ है जिसका तेंदुओं आजतक शिकार नहीं कर सके। अब सवाल उठ रहें है कि क्या नामीबिया से आए चीते उसका शिकार कर पाएंगे।      
 
 
जानकारी के मुताबिक कूनो पार्क में भाग्यशाली बकरा है जो हर बार बच जाता है। बकरे को यहां पर चारे के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। लेकिन अभी तक उसे कोई जानवर अपना शिकार नहीं बना पाया है। बताया जा रहा है कि बकरे को तकरीबन 20 से ज्यादा बार बांधा गया है ताकि बकरा तेंदुएं का शिकार बन जाएं। लेकिन बकरा हमेशा बच जाता है। बता दें कि, चीतों के आने से पहले कूनो पार्क में 6 तेंदुएं लाए गए थे। लेकिन 6 तेंदुओं ने भी उस बकरे का शिकार ना कर पाए। वह आज भी जीवित है और मजे से पूरे जंगल में घूम रहा है। कूनो नेशनल पार्क के कर्मचारी द्वारा इस बकरे को भाग्यशाली कहा गया, क्योंकि बकरे को 20 बार से ज्यादा बांधा गया ताकि शिकारी का शिकार बन जाएं पर वह हर बार बच जाता है। वन विभाग के कर्मचारियों के मुताबिक, चीतों के आ जाने से 12 वर्ग किमी का यह क्षेत्र पूरी तरह से तेंदुआ मुक्त कर दिया गया है। अब देखना दिलचस्प होगा की दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाला चीता क्या कूनो के भाग्यशाली बकरे का शिकार कर पाता है या बकरा हमेशा की तरह यानि तेंदुओं के जैसे ही चीतों से भी बचने में कामयाब हो जाता है। 


बता दें कि, नामीबिया से लाए गए चीतों को कूनो नेशनल पार्क के 12 वर्ग किमी के बाडे़ में रखा गया है। बाडे़ में पहले से मौजूद तेंदुओं ने वन विभाग के अफसरों को चिंता में डाल दिया था। बताया जा रहा था कि तेंदुओं के वजह से प्रोजेक्ट चीता में 2 महीने तक की देरी हो सकती थी। लेकिन बाड़े से तेंदुओं को निकालकर प्रोजेक्ट चीता को सही समय पर पूरा कर लिया गया। चीते 15 अगस्त को ही आने वाले थे। लेकिन किसी कारण से तय समय पर नहीं आ पाए, जिसे तेंदुओं को पकड़ने के लिए और समय मिल गया। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कूनो नेशनल पार्क में 6 तेंदुएं थे। जिसे एक-एक कर के पकड़ा जा चुका है। 


जानकारों का कहना है कि चीतों का पसंदीदा शिकार चीतल है और चीतल को अपना मन पसंद आहार बना कर चीतें अपनी संख्या बढ़ाऐगें। चीतों के पसंद को ध्यान में रखते हुए कूनों नेशनल पार्क में लगभग 180 से ज्यादा चीतल छोडे़ गए है। इन चीतलों को प्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में स्थित चिड़ीखो अभयारण्य से कूनों नेशनल पार्क में लाया गया है।   


 


 

Created On :   17 Sept 2022 10:30 PM IST

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