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गोंदिया शिक्षा विभाग पर 13 करोड़ रु. का अनुदान बकाया
डिजिटल डेस्क,गोंदिया। आरटीई अर्थात राइट टू एज्युकेशन (शिक्षा का अधिकार) के तहत आर्थिक कमजोर तथा दुर्बल घटकों के विद्यार्थियों को नामांकित अंग्रेजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश दिलाया जाता है। गोंदिया जिला परिषद शिक्षा विभाग की ओर से जिले की कुल 155 शालाओं में हजारों विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाया गया। लेकिन शिक्षा सत्र 2012-13 से शालाओं को अनुदान नहीं के बराबर दिया गया हंै। बताया गया है कि 2012-13 से जिप शिक्षा विभाग पर आरटीई के तहत प्रवेश देने वाली शिक्षा संस्थाओं का लगभग 13 करोड़ रुपए का अनुदान बकाया है। इस विषय को लेकर कई बार चर्चाएं व पत्र व्यवहार किया गया। लेकिन अनुदान की राशि नहीं दी गई है। जिस कारण अब यह राशि मिलेगी या नहीं, इसको लेकर शिक्षा संस्थाओं में चिंता बढ़ गई हैं।
बता दें कि शिक्षा के अधिकार के तहत लाभार्थी विद्यार्थियों को तीन किलोमीटर के भीतर की नामांकित अंग्रेजी स्कूलों में कक्षा पहली से कक्षा आठवीं तक 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों पर प्रवेश दिलाया जाता है। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से विद्यार्थियों की फीस संबंधित शिक्षा संस्थानों को अदा की जाती है। ऐसे में जिले की लगभग 155 स्कूलों में आरटीई के तहत हजारों विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाया गया। लेकिन अनुदान पूरी तरह से नहीं दिया गया। बताया गया है कि जब इस विषय को लेकर शिक्षा विभाग से बात की जाती हैं तो उन्हें यह कहकर लौटाया जाता है कि संस्था संचालकों द्वारा प्रस्तुत किए गए रिपोर्ट में त्रुटियां है। लेकिन त्रुटियां होने की कोई लिखित जानकारी या पत्र व्यवहार जिला परिषद शिक्षा विभाग की ओर से नहीं किया जाता है। कोरोना काल में संस्था संचालकों को अनुदान नहीं मिलने के कारण आर्थिक परिस्थिति कमजोर होने से अब विद्यार्थियों को नि:शुल्क पढ़ाना मुश्किल होकर शैक्षणिक संस्था संचालकों द्वारा बच्चों के प्रवेश को लेकर टालमटोल की जा रही हंै।
तो न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा
जिस तरह से शिक्षा विभाग प्रवेश दिलाने के लिए कानून का डर बताया जाता है। ठीक इसी कानून के तहत अनुदान की राशि समय पर संस्थाओं को अदा करनी चाहिए। 155 संस्थाओं में आरटीई के तहत हजारों विद्यार्थियों को प्रवेश दिलाया गया, लेिकन पूरी तरह से अनुदान नहीं दिया गया। लगभग गोंदिया जिला परिषद शिक्षा विभाग पर आरटीई का 13 करोड़ रुपए का बकाया है। त्रुटियों की जानकारी नहीं दी जाती। शिक्षा विभाग इस विषय को गंभीरता से नहीं लेता। अब मजबूरन शिक्षा विभाग के खिलाफ न्याय के लिए न्यायालय की शरण में जाना होगा। - आर.डी. कटरे, जिला सेक्रेटरी, आरटीई फाउंडेशन इंडिया
Created On :   27 July 2022 5:08 PM IST