भास्कर एक्सक्लूसिव: शिवराज और वसुंधरा का क्या होगा? बीजेपी के अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के हालात से समझिए किस दिशा में जाएगा सियासी भविष्य!
- शिवराज और वसुंधरा का आगे का भविष्य क्या होगा?
- शिवराज हाल में ही मुख्यमंत्री पद से दिए हैं इस्तीफा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में बीजेपी की ओर से मोहन यादव मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इसी के साथ मध्य प्रदेश में पिछले साढ़े 16 सालों से चले आ रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी कार्यकाल समाप्त हो गया। बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस दौरान जब उनसे दिल्ली जाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा, "एक बात मैं बहुत ही विनम्रता के साथ कहता हूं कि अपने लिए कुछ मांगने से पहले, मैं मरना बेहतर समझूंगा। वो मेरा काम नहीं है।"
बीजेपी की ओर से मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले ने हर किसी को चौंका दिया है। प्रदेश में बीजेपी की सरकार वापसी कराने में शिवराज सिंह चौहान का योगदान काफी अहम माना जाता है। ऐसा माना जा रहा था कि शिवराज सिंह चौहान की जगह पर केंद्रीय कृषि मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर या फिर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को मौका मिल सकता है। लेकिन पार्टी ने अपने फैसले से हर किसी को चौंका दिया। 4 बार एमपी के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में अपनी छवि जननायक के तौर पर स्थापित कर ली है। शिवराज सिंह चौहान ने एमपी की छवि देश में सुधारने के साथ-साथ अपनी योजनाओं के लिए जाने जाने लगे हैं। खास तौर पर उनकी महिलाओं के लिए चलाई गई स्कीम चुनाव के दौरान गेम चेंजर साबित हुई।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार वापसी करने वाले शिवराज सिंह चौहान की भूमिका अब क्या रहेगी? क्या वे अब राज्य की राजनीति में रहेंगे या फिर केंद्र की राजनीति में खुद को स्थापित करेंगे? इससे पहले बीजेपी की ओर से अन्य मुख्यमंत्रियों के बारे जानते हैं, जिन्हें पार्टी द्वारा या अन्य कारण से मुख्यमंत्री पद हटाने के बाद उन्हें पार्टी की ओर से क्या जिम्मेदारी मिली? जिससे ये अंदाजा लगाया जा सके कि शिवराज सिंह चौहान समेत वसुंधरा राजे सिंधिया का क्या सियासी भविष्य हो सकता है?
उमा भारती-
मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकीं उमा भारती वर्तमान में किसी भी केंद्र या राज्य के किसी भी पद पर कार्यरत नहीं हैं। उमा भारती साल 1984 में पहली बार लोकसभा चुनाव लडीं और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 1989 में उमा भारती पहली बार एमपी के खजुराहो संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गईं। इस सीट से वे चार बार (1989, 1991, 1996, 1998 और 1989) सांसद रहीं। इस दौरान केंद्र में कई बार सरकारें गिरी। इसके बाद वे 1991 में भोपाल से सांसद चुनी गईं। उमा भारती वाजपेयी सरकार में पर्यटन, युवा एवं खेल, मानव संसाधन विकास और कोयला और खदान जैसे मंत्रालय संभाल चुकी हैं।
साल 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में बीजेपी मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ी और तीन-चौथाई बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाई। इसके बाद उमा भारती बीजेपी की ओर से प्रदेश की कमान संभाली। हालांकि, साल 2004 में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ सार्वजनिक बहस के बाद उमा को भारतीय जनता पार्टी ने निलंबित कर दिया। इसके बाद पार्टी ने 2005 में उनका निलंबन वापस ले लिया। इस बीच उमा भारती ने अपनी खुद की पार्टी भारतीय जनशक्ति का गठन किया लेकिन ये पार्टी कुछ नहीं कर सकी। इसके बाद उमा भारती को मध्यप्रदेश की सियासत में कोई पद नहीं दिया गया। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उन्हें मंत्री पद जरूर मिला था। लेकिन दूसरी बार में वो दर्जा भी नहीं मिल सका।
बाबूलाल गौर-
भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिवंगत नेता बाबूलाल गौर मध्य प्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री रहे थे। कर्नाटक की हुबली अदालत द्वारा 1994 के हुबली दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसके बाद उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए ये पद बाबू लाल गौर को सौंप दिया था। गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके बाद पार्टी के कहने पर साल 2005 के नवंबर माह से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे। फिर साल 2008 में गौर शिवराज सरकार के कैबिनेट में शामिल हुए थे।
कल्याण सिंह-
इमरजेंसी के दौरान अपनी राजनीतिक करियर का लोहा मनवाने वाले कल्याण सिंह 1991 के युपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने। साल 1990 में वह राम मंदिर आंदोलन में उनकी छवि एक हिंदूवादी नेता के तौर बनी। इसी के चलते वे अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिलाने में कामयाब रहे। हालांकि, 1992 के दिसंबर माह में अयोध्या के विवादित ढ़ाचा विध्वंस के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
कल्याण सिंह एक बार फिर राज्य की सत्ता में वापसी की और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर, 1999 तक राज्य के मुख्यमंत्री बने। दूसरे कार्यकाल में उनके काम से आलाकमान ज्यादा प्रभावित नहीं रहे और उन्हें दो साल में ही बदल दिया। इस बाद से नाराज कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ी और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बना ली। हालांकि उन्हें बीजेपी में वापसी करना पड़ी जिसके बाद वे राजस्थान में 4 सितंबर 2014 से 8 सितम्बर 2019 तक राज्यपाल रहे।
देवेंद्र फडणवीस-
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस इस समय महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री हैं। 2014 में वे पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। साल 2019 में उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नागपुर दक्षिण सीट से चुनाव जीते। नवंबर महीने में फडणवीस एनसीपी नेता अजीत पवार की मदद से दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। लेकिन उनकी सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चली।
साल 2022 में उन्होंने शिवसेना के शिंदे गुट को अपने पाले में लाकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। इसके बाद वे महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के तौर पर चुने गए हैं। वर्तमान में भी उप मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं।
आनंदी बने पटेल-
साल 1987 में आनंदी बने पटेल ने बीजेपी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। फिर उन्हें गुजरात में बीजेपी ने उन्हें महिला विंग के अध्यक्ष के रूप में चुना। साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदी बेन पटेल 24 मई 2014 को गुजरात के 15वीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, 2016 में कथित तौर पर पाटीदार आरक्षण आंदोलन और दलित विरोध के कारण आनंदी बेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, इसके बाद वे मध्य प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर 2018 से 2019 तक कार्यरत रहीं।
इन मुख्यमंत्रियों का हाल देखते हुए लगता है कि शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे को या तो दिल्ली में कोई अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी या कुछ समय बाद किसी प्रदेश के राज्यपाल का पद सौंप दिया जाएगा।
Created On :   14 Dec 2023 12:52 PM GMT