सरप्राइज चेहरे पर प्लान-B: भजन, दीया और प्रेम पर बीजेपी का सियासी दांव खेलने के पीछे क्या हैं राज? तीन नाम से साधे चार समीकरण!
- भजनलाल के हाथों होगी राजस्थान की कमान
- दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा संभालेंगे डिप्टी सीएम का पद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान के जयपुर में बीजेपी नेता भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। अब भजनलाल शर्मा राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे। वहीं, दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा राज्य के नए डिप्टी सीएम होंगे। मंगलवार को केंद्रीय पर्यवेक्षकों की अगुवाई में विधायक दल की बैठक हुई। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर भजनलाल शर्मा का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद सभी नेताओं और विधायकों ने भजनलाल शर्मा को विधायक दल के नेता के तौर पर चुन लिया। हालांकि, विधायक दल की बैठक महज प्रक्रिया थी। असल में बीजेपी हाईकमान ने पहले ही भजनलाल शर्मा को सीएम और दीया कुमारी, प्रेम चंद बैरवा को डिप्टी सीएम बनाने की स्क्रिप्ट लिख दी थी। ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि बीजेपी इन तीन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंप कर किस वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, इसके सियासी मायने क्या है?
भजनलाल शर्मा पर बीजेपी की रणनीति
जयपुर के सांगानेर सीट से पहली बार विधायक बने 56 साल के भजनलाल शर्मा ब्राह्मण समाज के नेता हैं। राजस्थान में ब्राह्मण आबादी महज 7 फीसदी है। लेकिन, पार्टी ने इसके जरिए यूपी, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के ब्राह्मण वोटरों को साधने की कोशिश की है। भजनलाल को सीएम पद देना बीजेपी की रणनीति का एक हिस्सा था। ऐसा माना रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे केंद्रीय नेतृत्व के बातों को अनदेखा कर रही थी। इसका काट निकलाने के लिए पार्टी राज्य में एक ऐसे चेहरे की तलाश में लगी हुई थी, जिनके ऊपर केंद्रीय नेतृत्व को भरोसा हो। जिसमें भजनलाल शर्मा फिट बैठे। राज्य के नए मुखिया भजनलाल शर्मा RSS और ABVP के भी सक्रिय सदस्य रहे हैं। साथ ही, वे 4 बार प्रदेश के महामंत्री रह चुके हैं। बीजेपी ने भजनलाल को न केवल सेफ सीट से सिटिंग विधायक का टिकट काटकर चुनावी मैदान में उतारा बल्कि उन्हें चुनाव जिताने में भी मदद की। इसके बाद पार्टी ने उन्हें बतौर मुख्यमंत्री चुना।
दो डिप्टी सीएम पर बीजेपी का प्लान-B
दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा राजस्थान के नए डिप्टी सीएम बनने वाले हैं। जहां दीया कुमारी राजपूत समाज से ताल्लुक रखती हैं। वहीं, प्रेम चंद बैरवा दलित समाज के नेता हैं। दीया कुमारी के जरिए पार्टी महिला वोटरों का साधने में जुटी हुई है। दीया जयपुर जिले की विद्याधर नगर सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार विधानसभा पहुंची हैं। वे साल 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक बनी थीं। हालांकि, उन्हें पिछले चुनाव में विधानसभा का टिकट नहीं मिला। लेकिन पार्टी ने उन्हें अगले साल लोकसभा चुनाव में राजसमंद सीट से मौका दिया और वे संसद पहुंचीं। राजपूत समाज से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी वसुंधरा राजे की राजनीतिक काट के तौर पर भी देखी जाती हैं। वसुंधरा राजे की जगह दीया कुमारी को डिप्टी सीएम बनाकर बीजेपी उन्हें राज्य के नए राजपूत नेता के तौर पर स्थापित करना चाहती है। राज्य में करीब 9 फीसदी वोटर राजपूत समाज से आते हैं। राजस्थान के कई विधानसभा सीटों पर राजपूत वोट बैंक काफी ज्यादा मायने रखता हैं। वसुंधरा को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद राजपूत समाज नाराज न हो जाए, इसके लिए पार्टी ने दीया कुमारी को बतौर डिप्टी सीएम नियुक्त करने का फैसला किया है।
इधर, प्रेम चंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाना भी राज्य में बीजेपी की रणनीति का अहम हिस्सा है। बैरवा दूदू (पूर्व जयपुर) सीट से चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बने हैं। 54 साल के बैरवा दलित समुदाय से आते हैं। राज्य में दलित की आबादी 18 फीसदी है। पार्टी ने बैरवा के जरिए न केवल राजस्थान में दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश की है बल्कि इसका भी असर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और यूपी में देखने को मिलेगा। प्रेम चंद बैरवा राजस्थान के बड़े दलित नेता के रूप में भी जाने जाते हैं।
राजस्थान में बीजेपी ने 2024 के आम चुनाव से पहले ब्राह्मण, राजपूत और दलित समीकरण को साधने की कोशिश की है। जिसका असर राजस्थान के सटे राज्यों में भी देखने को मिलेगा। इसके अलावा दीया कुमारी के जरिए पार्टी ने महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
Created On :   12 Dec 2023 7:36 PM IST