विधानसभा चुनाव 2023: शहडोल संभाग में शिवराज सरकार के 2 मंत्रियों की साख दांव पर
- प्रदेश में 17 नवंबर को डाले जाएंगे वोट
- 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे नतीजे
डिजिटल डेस्क, शहडोल,राघवेन्द्र चतुर्वेदी। आठ विधानसभा सीटों को अपने में समेटे शहडोल संभाग में शिवराज सरकार के 2 मंत्रियों की साख दांव पर लगी हुई है। ये 2 मंत्री हैं, अनूपपुर सीट के भाजपा प्रत्याशी बिसाहूलाल सिंह और उमरिया जिले की मानपुर सीट से चुनाव लड़ रहीं मीना सिंह। इन दोनों की साख इसलिए भी दांव पर लगी हुई है क्योंकि बिसाहूलाल नौवीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं तो मीना सिंह सातवीं बार चुनाव मैदान में उतरी हैं। दोनों क्रमश: 7 और 5 बार चुनाव जीत चुके हैं और दोनां ही जीत का चौका भी लगा चुके हैं। इस बार भी हौसले दोनों के बुलंद हैं लेकिन जीत की डगर, इनके स्पयं के द्वारा बोए गए कांटों की वजह से बहुत कठिन है। बिसाहूलाल के खिलाफ उम्र और स्वास्थ्य के साथ क्षेत्र व कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का फैक्टर काम कर रहा है तो मीना सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार, मूलभूत सुविधाओं के अभाव तथा पार्टी के पूर्व विधायक के साथ आंतरिक द्वंद का मुद्दा इन चुनावों में छाया हुआ है।
प्रदेश के खाद्य मंत्री के गृह क्षेत्र में 2020 के उपचुनाव की तरह’बिकाऊलाल’ अभी भी बड़ा मुद्दा है। उम्र (73 साल) और स्वास्थ का असर इनकी जनसभाओं में भी दिख रहा है। साथ ही दिखाई दे रही है, भाजपा संगठन के समर्पित कार्यकर्ताओं तथा कांग्रेस से भाजपा में गए इनके समर्थकों के बीच की दूरी। यह दूरी बीते ढाई साल में बजाय कम होने के और बढ़ गई है। इसकी ताजा तस्वीर आचार संहिता लगने के बाद सामने आई। नामांकन रैली में शामिल होने लगाए गए आंमत्रण पोस्टर में अकेले बिसाहू लाल सिंह ही अभिवादन करते नजर आ रहे हैं। इस पोस्टर में भाजपा के किसी नेता की तस्वीर नहीं है। इस पोस्टर के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने आपत्ति तो दर्ज करवाई ही, इनसे और दूरी बना ली। भाजपा के पूर्व विधायक रामलाल रौतेल के साथ बिसाहूलाल सिंह के बिगड़े रिश्ते संगठन में ऊपर से नीचे तक सबको पता हैं। लिहाजा्र कार्यकर्ता तो कार्यकर्ता संगठन के पूर्वजिला महामंत्री सहित एक दर्जन से ज्यादा पदाधिकारियों ने जिस तरह से अपनी अलग राह पकड़ी है, वह इनकी मुश्किलें बढ़ाने काफी है।
खराब खाद्यान्न और भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा
खाद्य मंत्री के गृह निर्वाचन क्षेत्र अनूपपुर सहित पुष्पराजगढ़ में खराब चावल वितरण बड़ा मुद्दा है। क्षेत्र की जनता जानवरों के खाने योग्य चावल दिए जाने से अब तक नाराज है। इनकी जुबां पर यहां हुआ खाद्यान्न परिवहन घोटाला भी है, जिसकी जांच ठंडे बस्ते में जा चुकी है। डीएमएफ मद से खरीदी और निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की शिकायत तो पार्टी के पूर्व विधायक रामलाल रौतेल ने स्वयं की थी। पीएमओ से चि_ी आने के बाद भी कोई जांच नहीं हुई। जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की नियुक्ति न होने सहित फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण की सुस्त रफ्तार और इससे रोज जनता को हो रही परेशानी, बिसाहू की राह में रोड़े अटका सकती हैं। दिक्कतें होने वाली जनता की से चल रहा है, रेलवे फाटक स्थाई रूप से बंद होने की वजह से जिला मुख्यालय में लोगों को परेशानी हो रही है। लंबित हर्री बर्री पुल निर्माण सहित जिला मुख्यालय में बस स्टैंड और ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन तक नहीं मिलना भी इस विधानसभा क्षेत्र के 1 लाख 78 हजार 830 मतदाताओं के मानस को बदल सकता है।
अब मानपुर की बात
प्रदेश की जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह , चुनावी मेले में अकेले नजर आ रही हैं। मानपुर में उनके चुनाव प्रचार के दौरान नज़ारा ऐसा है जैसे पूरे चुनाव का दारोमदार इन्होंने अकेले ही अपने कंधों पर उठा रखा हो। संगठन यहां इनके साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा और इसका असर जनसंपर्क में भी दिख रहा है। दो दिन पहले मानपुर में जनसंपर्क के दौरान भाजपा संगठन के कार्यकर्ता कम ही नजर आए। हालांकि इस कमी की भरपाई उनके उन समर्थकों से पूरी की जा रही है जिन्हें समय-समय पर इनके द्वारा उपकृत होने का अवसर मिला है। भाजपा प्रदेश संगठन से नियुक्त विधानसभा क्षेत्र प्रभारी दीपक छतवानी से मीना सिंह ने चुनावी परिस्थितियों को लेकर अब तक एक बार भी चर्चा नहीं कीं। भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप पांडेय भी कहते हैं कि चुनाव में संगठन अपना काम कर रहा और प्रत्याशी अपने प्रचार को अपने तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। बांधवगढ़ के पूर्व विधायक ज्ञानसिंह के साथ इनकी चल रही वर्चसव की जंग भी, इस चुनावी समर में अपना असर दिखाएगी।
आदिवासियों की उपेक्षा और अत्याचार बड़ा मुद्दा
चार बार से लगातार विधायक चुनती आ रहीं मीना सिंह इस बार विकास कार्यों के नाम पर हुए भ्रष्टाचार तथा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के अभाव को लेकर मुश्किल में हैं।, पिछले महीनों में खड़ा हुआ आदिवासियों की उपेक्षा और अत्याचार के मुद्दे ने अकेले मीना सिंह ही नहीं बल्कि पूरे संभाग में भाजपा की मुश्किलें दोहरी कर दी हैं। गोंगपा के राधेश्याम काकोडिय़ा जेल से ही इन्हें चुनौती दे रहे हैं और उनके समर्थक तथा कार्यकर्ता आदिवासियों पर अत्याचार का नारा बुलंद किये हुए हैं। 2 लाख 50 हजार 917 मतदाताओं वाली इस सीट पर लगातार चार बार की जीत के बावजूद क्षेत्र के 2 बड़े निकायों, मानपुर तथा बिरसिंहपुर पाली में व्यवस्थित बस स्टैंड नहीं बन पाया। इसकी पिछले 15 साल से मांग हो रही है। हर साल गर्मी में 50 से ज्यादा ग्रामों खड़े होने वाले पेयजल संकट का भी पिछले दो दशक में हल नहीं निकाला जा सका है। ट्रांसफार्मर ती-तीन महीने नहीं बदल पा रहा है। बिजली, पानी के साथ क्षेत्र की खराब सडक़ें और बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं भी इस बार इनकी डगर मुश्किल किये हुए है।
Created On :   6 Nov 2023 6:14 AM GMT