BPSC protests: प्रशांत किशोर की बढ़ीं मुश्किलें, दर्ज हुई एक और एफआईआर, जानें क्या हैं आरोप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। उन पर मंगलवार को एक और केस दर्ज हो गया है। उन पर पहले से ही दर्ज हैं। बीते सोमवार को पीरबहोर थानाध्यक्ष अब्दुल हलीम की ओर से पटना सिविल कोर्ट में इसे लेकर आवेदन किया गया था। उन्होंने प्रशांत किशोर और उनके समर्थकों पर कोर्ट कैंपस में हंगामा करने और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगाया है। पीरबहोर थानाध्यक्ष के आवेदन पर मामला दर्ज हो गया है।
आवेदन में यह बताया गया कि जब सोमवार को जब प्रशांत किशोर को सिविल कोर्ट में लाया गया था तो उनके समर्थकों को शोर न करने के लिए कहा गया था। इसके बाद प्रशांत किशोर ने सशर्त जमानत लेने से मना कर दिया था। उन्होंने जमानत को स्वीकार नहीं किया और जेल जाने के लिए तैयार हो गए थे। इस बीच कोर्ट परिसर में प्रशांत किशोर अपने समर्थकों के बीच आ गए।
समर्थकों ने की धक्का-मुक्की
आवेदन में बताया गया कि जब प्रशांत किशोर अपने समर्थकों के बीच आए तो जोर-जोर से नारेबाजी होने लगी। उनके समर्थक उन्हें अपने कब्जे में लेने का प्रयास करने लगे। जिस पर पुलिस द्वारा उन्हें काफी समझाने का प्रयास किया गया। लेकिन उनके समर्थकों ने सरकारी काम में बाधा पहुंचाने लगे। इस दौरान उन्होंने पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की, जिसमें एक पुलिसकर्मी का हाथ टूट गया।
पीरबहोर थानाध्यक्ष ने अपने आवेदन में बताया कि कोर्ट से बाहर आकर प्रशांत किशोर अपने समर्थकों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने लगे। इस दौरान उनके समर्थक हो हंगामा और नारेबाजी करते रहे। इस पूरे मामले में जन सुराज पार्टी एवं उनके समर्थकों ने साजिश के तहत कोर्ट परिसर में हंगामा करने, धक्का-मुक्की करने एवं सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में प्रशांत किशोर, जन सुराज पार्टी एवं उनके सैंकड़ों अज्ञात समर्थकों को आरोपित किया गया है।
बता दें कि बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले बीपीएससी छात्रों के विरोध प्रदर्शन से सियासत गरमा गई है। सोमवार को जन सुराज पार्टी के चीफ प्रशांत किशोर को कोर्ट से बिना किसी शर्त के जमानत दे दी थी। इसके बाद वह जेल से बाहर आ गए हैं। दरअसल, बीते पांच दिनों से बीपीएससी छात्रों की मांगे पूरी करने के लिए प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठे थे। इस दौरान रविवार को पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था। इसके बाद कोर्ट ने प्रशांत किशोर को बेल बॉन्ड के तहत कुछ शर्तों सहित जमानत दी थी। लेकिन, उन्होंने कोर्ट की इन शर्तों के मानने से इनकार कर दिया था। जेल जाने का रास्ता चुना था। इसके बाद कोर्ट में प्रशांत किशोर के वकील वाईबी गिरी ने केस लड़ा था।
प्रशांत किशोर के वकील ने बताया कि कोर्ट की ओर से जनसुराज पार्टी के चीफ को शर्तों पर जमानत दी जा रही थी। इसके बाद वह किसी भी तरह का प्रदर्शन नहीं करेंगे। हालांकि, इससे स्वीकार्य करने से उन्हें मना कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने प्रशांत किशोर को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। दरअसल, कोर्ट ने प्रशांत किशोर को इस शर्त में जमानत दी थी कि भविष्य में उनकी ओर से राज्य सरकार के खिलाफ किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, जिससे विधि व्यवस्था की समस्या ना उत्पन्न हो। लेकिन, प्रशांत किशोर के इन शर्तों को मानने के लिए राजी नहीं हुए।
Created On :   8 Jan 2025 12:33 AM IST