प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट: मंदिर मस्जिद से जुड़े मुकदमों पर आदेश न सुनाएं न ही सर्वे का दें आदेश- सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार से भी मांगा जवाब

मंदिर मस्जिद से जुड़े मुकदमों पर आदेश न सुनाएं न ही सर्वे का दें आदेश- सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार से भी मांगा जवाब
  • सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
  • प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई
  • मंदिर-मस्जिद के नए मुकदमों पर लगी रोक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने गुरुवार को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट मामले पर बड़ा फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी। इसके लिए अगली तिथि तक कोई नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नए मुकदमे दाखिल होने में कोई दिक्कत नहीं हैं, लेकिन कोर्ट उन्हें दर्ज न करें। दरअसल, सीजेआई का सीधा मतलब यह था कि कोर्ट इन मुकदमों पर आगे कार्रवाई करने से बचे।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से लंबित याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान सीजेआई ने पूछा कि मथुरा और ज्ञानवापी समेत कितने मुकदमे हैं?

कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुछ वकीलों की ओर से कई अदालतों के सर्वे के आदेशों पर आपत्ति जताई गई है। इस पर कोर्ट की ओर से टिप्पणी नहीं की गई थी। इस संबंध में एक वकील ने जानकारी दी। उन्होंने बताया वर्तमान में 10 धार्मिक स्थलों पर 18 मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं।

मंदिर-मस्जिदों के नए मुकदमों और सर्वे पर लगी रोक

इस पर जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा, 'यदि सुप्रीम कोर्ट में कोई सुनवाई लंबित है तो सिविल कोर्ट उसके साथ रेस नहीं कर सकते। इसके बाद सीजेआई ने कहा, केंद्र सरकार 4 सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करें। इसके बाद सभी पक्ष अगले 4 सप्ताह में उस पर जवाब दाखिल करें। इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, एक पोर्टल या कोई व्यवस्था बनाई जाए, जहां सभी जवाब देखे जा सकें। इसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने गूगल ड्राइव लिंक बनाने पर जोर दिया।

इसके बाद सीजेआई ने कहा कि कनु अग्रवाल केंद्र की तरफ से, विष्णु जैन एक्ट विरोधी याचिकाकर्ताओं की ओर, और एजाज मकबूल एक्ट समर्थक याचिकाकर्ताओं की ओर से नोडल एडवोकेट होंगे। उन्होंने कहा कि एक्ट की धारा 3 और 4 पर मुकदमें हैं। इन पर केंद्र का जवाब आना बाकी है। सीजेआई ने जोर देते हुए कहा कि जो मुकदमों को दर्ज किया गया है उनमें कोई प्रभावी या अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्थलों से संबंधित कोई भी नया मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि जो मुकदमे लंबित हैं, उनमें सुनवाई जारी रह सकती है लेकिन निचली अदालत कोई भी प्रभावी या अंतिम आदेश नहीं दें। फिलहाल, निचली अदालत सर्वे का भी आदेश नहीं दें। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी 4 सप्ताह में लंबित केस पर जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिकाकर्ता भी उसके बाद 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करें।

Created On :   12 Dec 2024 6:43 PM IST

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