लोकसभा चुनाव 2024: पवार परिवार का है दबदबा, जानिए बारामती सीट का चुनावी इतिहास, यहां भाजपा को अपनी पहली जीत का इंतजार
- चुनावी मैदान में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले
- महाराष्ट्र की सियासत की केंद्र
- शरद पवार का गढ़
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सबसे चर्चित और प्रभावशाली सीटों में सबसे पहले आगे बारामती लोकसभा सीट का नाम आता है। खेती किसानी के लिए मशहूर बारामती सीट इस बार के भी लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सियासत की केंद्र में बना हुआ है। जहां एक तरफ शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को बारामती सीट से टिकट दिया है। वहीं, इस सीट से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपनी पत्नी को यहां से चुनाव लड़ाने का ऐलान किया है। यह सीट शरद पवार का गढ़ माना जाता है। वर्तमान में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार की प्रत्याशी सुप्रिया सुले बारामती से सांसद हैं। आज हम आपको बताएंगे बारामती लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास के बारे में।
बारामती लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
आजादी के 15 साल बाद बारामती में पहला आम चुनाव संपन्न हुआ। पहले आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जीत मिली और गुलाब केशव जेधे सांसद बने। कांग्रेस पार्टी ने लगातार अगले दो आम चुनाव में जीत बरकरार रखी। आपातकाल हटने के बाद साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। आपातकाल के दुष्परिणाम के चलते कांग्रेस को यहां पहली बार हार का सामना करना पड़ा और भारतीय लोकदल को जीत मिली। इस बार सांभाजीराव काकड़े निर्वाचित हुए।
तीन साल बाद 1980 में फिर लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने वापसी की और शंकरराव बाजीराव पाटिल सांसद बने। कांग्रेस पार्टी के विघटन से बनी इंडियन कांग्रेस सोशियलिस्ट पार्टी ने 1984 का आम चुनाव जीता। इस बार शरद पवार सांसद बने। 1985 में उप-चुनाव हुए, जिसमें जनता पार्टी को जीत मिली और के एस साहेबराव निर्वाचित हए। 1989 में कांग्रेस ने वापसी की और शंकरराव बाजीराव पाटिल दोबारा सांसद बने। 1989 का आम चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने लगातार अगले 3 चुनाव और 1 उप-चुनाव में जीत दर्ज की। साल 1991 का उप-चुनाव जीतने के बाद पी एस सी गोविंदराव सांसद बने और इसी साल लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार निर्वाचित हो गए। शरद पवार 1996 और 1998 का आम चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीतकर सांसद बने। इसके बाद शरद पवार ने अपनी पार्टी बना ली, जिसका नाम उन्होंने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) रखा।
एनसीपी 1999 का आम चुनाव जीता और शरद पवार निर्वाचित हुए। शरद पवार ने 2004 के चुनाव तक बारामती सीट से एनसीपी का प्रतिनिधित्व करते हुए चुनाव जीता। साल 2009 के आम चुनाव में शरद पवार ने अपनी जगह अपनी बेटी सुप्रिया सुले को टिकट दिया और उन्हें भी चुनाव में जीत मिली। सुप्रिया सुले ने अगले दो आम चुनाव साल 2014 और 2019 में बारामती सीट से एनसीपी को जीत दिलाई। वर्तमान में सुप्रिया सुले यहां से सांसद हैं।
क्या रहा पिछले चुनाव का रिजल्ट?
साल 2019 में एनसीपी ने सुप्रिया सुले को बारामती सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। पिछले चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ सियासी मैदान में कुल 17 प्रत्याशी उतरे थे, जिसमें 10 निर्दलीय भी शामिल थे। इस चुनाव में भाजपा एनसीपी की मुख्य प्रतिद्वंदी थी। भाजपा ने सुप्रिया सुले के सामने कंचन राहुल कुल को चुनावी मैदान में उतारा था। चुनावी नतीजों में एनसीपी ने भाजपा को 1 लाख 55 हजार 774 वोटों से हरा दिया। इस दौरान एनसीपी को 6 लाख 86 हजार 714 वोट मिले थे। वहीं, भाजपा को 5 लाख 30 हजार 940 वोट मिले थे।
मोदी लहर के बावजूद नहीं गिरा बारामती का किला
साल 2014 में न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देशभर में मोदी लहर का उदय हुआ था। उस चुनाव में बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं को भी घुटने टेकने पड़े थे। लेकिन इसके बावजूद पवार परिवार के गढ़ बारामती सीट पर भाजपा कब्जा नहीं कर पाई। साल 2009 के प्रदर्शन को दोहराते हुए शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले दोबारा सांसद बनीं। इस दौरान उन्हें कुल 5 लाख 21 हजार 562 मत प्राप्त हुए। हांलाकि, सुप्रिया सुले को भाजपा के समर्थक दस राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपीएस) के महादेव जगन्नाथ जानकर ने कड़ी चुनौती दी थी। महादेव जानकर को कुल 4 लाख 51 हजार 843 वोट मिले थे।
Created On :   22 March 2024 5:13 PM IST