हार के कारण: पेपर लीक, ओल्ड पेंशन और तनातनी... इन छह कारणों से यूपी में डूबी बीजेपी की लुटिया, इंटरनल रिपोर्ट में बड़े खुलासे
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- लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को लगा था झटका
- यूपी के सियासी गलियारों में हलचल तेज
- भाजपा अध्यक्ष ने ढूंढे हार के 6 कारण
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे तगड़ा झटका उत्तरप्रदेश की सीटों पर लगा। राज्य की आधी से ज्यादा सीटों पर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन से हार झेलनी पड़ी है। लिहाजा यूपी की राजनीति में सत्ताधारी भाजपा सरकार में तनातनी दिखना शूरू हो गई है। इस संबंध में अब भाजपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को लेकर एक रिपोर्ट आलाकमान को दी है। जिसमें हार के छह कारणों को साझा किया गया है।
इस बात का पता एनडीटीवी की न्यूज रिपोर्ट से चलता है। इस खबर के मुताबिक, यूपी में पेपर लीक, सरकारी नौकरियों में संविदा कर्मियों की भर्ती और प्रशासन की मनमानी समेत इन 6 मुद्दों से किनारा करने की वजह से भाजपा की हार हुई थी। सूत्रों की मानें तो, इस रिपोर्ट को तैयार करने में करीब 40,000 लोगों की राय ली गई थी। इसके अलावाअयोध्या और अमेठी जैसी हाई प्रोफाइल सीटों पर भाजपा की हार पर भी मंथन किया गया है।
1. प्रशासन की मनमानी
उत्तरप्रदेश में हार के कारणों में सबसे अहम प्रशासन की मनमानी सामने आई है। इस बात का खुलासा यूपी भाजपा ने अपनी रिपोर्ट में किया है। इस वजह से भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष की स्थिति पैदा हुई थी। इस बारे में भाजपा के दिग्गज नेता ने कहा, "विधायक के पास कोई शक्ति नहीं है। जिला मजिस्ट्रेट और अधिकारी राज करते हैं। इससे हमारे कार्यकर्ता अपमानित महसूस कर रहे हैं। वर्षों से आरएसएस और भाजपा ने मिलकर काम किया है। अधिकारी पार्टी कार्यकर्ताओं की जगह नहीं ले सकते हैं।"
2. पेपर लीक और ओल्ड पेंशन
यूपी में बीते कुछ सालों के अंदर पेपर लीक के कई मामले सुर्खियों में रहे हैं। इस वजह से प्रदेश में एग्जाम देने वाले युवाओं सरकार से खफा है। इस बारे में एनडीटीवी ने भाजपा के अन्य नेता के हवाले से जानकारी दी है। जिसमें कि बीते तीन सालों में यूपी में कम से कम 15 पेपर लीक को लेकर विपक्ष ने भाजपा को आरक्षण विरोधी बताया था। उन्होंने कहा, "इसके अलावा सरकारी नौकिरयों को संविदा कर्मियों से भरा जा रहा है, जिससे विपक्ष के हमारे बारे में भ्रामक कथन को बल मिलता है।" इस रिपोर्ट में बताया गया प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्किम पर बुजुर्गों की चर्चा होती रही। इसके अलावा अग्निवीर और पेपर लीक का मुद्दा युवाओं को सताता रहा।
3. मौर्य-कुर्मी जाति से छूटी पकड़
इस रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव के समय कुर्मी और मौर्य जाति के वोटर्स को भाजपा की कमजोर कड़ी बताया गया। इसके अलावा भाजपा को चुनाव में दलित वोटर्स से भी समर्थन गवाना पड़ा है। जिस वजह से पार्टी की हार हुई।
4. मायावती की कमजोर पकड़
यूपी में चुनाव के दौरान बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के घटता वोट शेयर और कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन को नजरअंदज किया है। रिपोर्ट में यह बात भाजपा का सबसे बड़ा कारण उभर कर सामने आई है। लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का वोट शेयर 10 प्रतिशत की गिरवाट आई है।
5. नेताओं में तनातनी
आम चुनाव के दौरान यूपी में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के बीच असंतोष और आपसी मतभेद भी बढ़े है। जिसका असर चुनाव के नतीजों में देखने को मिला था। यूपी भाजपा की रिपोर्ट में इस मसले को समय रहते हल करने पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर यह मामला जल्द से जल्द नहीं सुलझता तो पार्टी को भविष्य में आने वाली दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा रिपोर्ट में पार्टी के नेताओं के बीच यह मतभेद 'अगड़ा बनाम पिछड़ा की लड़ाई में बदल सकते हैं। इस समस्या से सुलझने के लिए ग्राउंड लेवल पर काम करने की जरूरत है।
6. टिकट बंटवारे में हड़बड़ी
यूपी बीजेपी की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव में टिकट बंटवारे में हड़बड़ी पार्टी की हार का कारण बनी है। इस वजह से पार्टी का चुनाव अभियान तेजी से समाप्ति की ओर चला गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि लोकसभा चुनाव के छठे और सातंवे चरण आते आते कार्यकर्ताओं सुस्त हो गए थे।
Created On :   18 July 2024 3:20 PM IST