बीजेपी के लिए मुसीबत, आरक्षण में देरी को लेकर नाराज निषाद समुदाय

Trouble for BJP, Nishad community angry over delay in reservation
बीजेपी के लिए मुसीबत, आरक्षण में देरी को लेकर नाराज निषाद समुदाय
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 बीजेपी के लिए मुसीबत, आरक्षण में देरी को लेकर नाराज निषाद समुदाय

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। निषाद समुदाय आरक्षण के मुद्दे पर लगातार अशांत होता जा रहा है, जिससे भाजपा के लिए संकट गहराता जा रहा है। निषाद समुदाय के लोग पिछले सप्ताह लखनऊ में भाजपा-निषाद पार्टी की संयुक्त रैली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस संबंध में एक घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे थे। हालांकि शाह ने रैली में आरक्षण के मुद्दे का जिक्र तक नहीं किया और जैसे ही रैली खत्म हुई, समुदाय के गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने कुर्सियां तोड़ दीं और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की। कौशांबी के एक वरिष्ठ नेता गोपीचंद निषाद ने कहा, संजय निषाद ने हमसे वादा किया था कि रैली में आरक्षण की घोषणा की जाएगी, लेकिन हमें धोखा दिया गया है। अब हमारा रुख स्पष्ट है - आरक्षण नहीं तो, भाजपा को वोट नहीं।

एक अन्य प्रतिद्वंद्वी निषाद नेता, लुतनराम निषाद ने कहा, संजय निषाद ने एक प्रकार से पूरे समुदाय को बेच दिया है और वह समुदाय के बल पर यूपी विधान परिषद के सदस्य बन गए हैं। यह अच्छा है कि हमारे लोगों ने चुनाव से पहले ही उनके गेम प्लान को देख लिया है और अब वे उन्हें और बीजेपी को सबक सिखाएंगे। इस मुद्दे पर संजय निषाद टालमटोल करते नजर आए। उन्होंने कहा, हमें रैली में एक घोषणा की उम्मीद थी। मैं भाजपा नेतृत्व से बात करूंगा, क्योंकि उन्होंने मुझसे मेरे समुदाय के लिए आरक्षण का वादा किया है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा चुनाव से पहले ऐसी कोई प्रतिबद्धता करने से कतरा रही है, क्योंकि इससे उनके लिए कई जटिल समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, अगर हम निषादों के लिए आरक्षण की घोषणा करते हैं, तो अन्य समुदाय भी इसी तरह की मांगों के साथ आएंगे। कायस्थ पहले से ही ओबीसी श्रेणी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, दलित भी विरोध में उठेंगे, क्योंकि वे पाएंगे कि निषादों द्वारा उनके कोटे का अतिक्रमण किया जा रहा है। हम इस तरह की स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर सकते, जब चुनाव कुछ ही हफ्ते दूर हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा के लिए यह कहकर और मुसीबत बढ़ा दी है कि अगर वह सत्ता में आए तो वह जाति की जनगणना का आदेश देंगे और उसके अनुसार आरक्षण सुनिश्चित करेंगे।

उल्लेखनीय है कि निषाद समुदाय अनुसूचित जाति वर्ग में समावेश और आरक्षण की मांग करता रहा है, लेकिन संवैधानिक और राजनीतिक कारणों से यह मामला लंबित पड़ा है। राज्य में पिछली सरकार ने एससी श्रेणी में निषाद सहित 17 ओबीसी जातियों को शामिल करने का निर्णय लिया था, लेकिन इस पर अदालतों ने रोक लगा दी थी, क्योंकि इस मुद्दे पर केवल केंद्र ही फैसला कर सकता है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार का ऐसा फैसला संविधान के अनुच्छेद 341 का उल्लंघन है। 2005 में मुलायम सिंह यादव के शासन काल में भी 11 ओबीसी जातियों को एससी श्रेणी में शामिल करने का आदेश कानूनी खांचे में फंस गया था। मायावती भी इन ओबीसी जातियों को एससी में शामिल करने के लिए तैयार थीं, लेकिन साथ ही वह यह भी चाहती थीं कि अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का कोटा और बढ़ाया जाए।

(आईएएनएस)

Created On :   20 Dec 2021 5:00 PM IST

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